वट सावित्री :ज्येष्ठ महीने का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इस महीने में हनुमान जी की भी पूजा होती है. वहीं आज वट सावित्री व्रत के साथ कई अन्य त्योहार भी है. सुबह से ही महिलाएं वट वृक्ष के नीचे जमा होकर वट सावित्री पूजा कर रही हैं. ज्येष्ठ अमावस्या के अवसर पर वट सावित्री व्रत होने के कारण इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजन से मिलने वाला लाभ ज्यादा फलदायी होता है. बता दें कि आज वट सावित्री पूजा के साथ-साथ शनि जयंती और दर्श अमावस्या भी है.
सुबह से ही पूजन के लिए महिलाओं की भीड़
भीषण गर्मी को देखते हुए वट सावित्री पूजा करने वाली महिलाएं सुबह-सुबह लाल जोड़े में तैयार होकर पूजन करने के लिए धातु के बने बर्तन व बांस की टोकरी में पूजन सामग्री के साथ वट वृक्ष के नीचे पहुंच रही हैं. पति की मंगलकामना व दीर्घायु होने के लिए कामना के साथ मंगल धागा वट वृक्ष पर लपेट रही हैं. ज्यादातर महिलाएं 16 श्रृंगार कर पूजन के लिए पति व अन्य परिवार के सदस्यों के साथ पहुंची हैं.
वट वृक्ष की पूजा क्यों
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में पीपल की तरह बरगद, जिसे वट भी कहा जाता है. वट सावित्री व्रत के दौरान महिलाएं अखंड सौभाग्यवती रहने के लिए शोभन योग में वट वृक्ष की पारंपरिक तरीके से पूजा-अर्चना करती हैं. मान्यता है कि इसी दिन वट वृक्ष की पूजा कर सावित्री ने पति सत्यवान की यमराज से प्राणों की रक्षा करने में सफलता पाईं थीं. इसके बाद से महिलाएं पति के दीर्घायु के लिए वट सावित्री पूजन करती हैं.