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'वैज्ञानिकों ने IPCC climate report लिखने के लिए पढ़े 14000 से ज्यादा शोध पत्र'

दुनियाभर के सैकड़ों वैज्ञानिकों ने जलवायु की स्थिति का आकलन करने वाली एक नई रिपोर्ट अंतिम रूप दिया है.

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Published : Aug 9, 2021, 5:05 PM IST

रिचमंड (अमेरिका) : दुनियाभर के सैकड़ों वैज्ञानिकों ने जलवायु की स्थिति का आकलन करने वाली एक नई रिपोर्ट को हाल ही में अंतिम रूप दिया है. यह एक बड़ा काम है. आने वाले खतरों को समझने के लिए हर जगह सरकारों और उद्योगों द्वारा रिपोर्ट का उपयोग किया जाता है.

तो ये वैज्ञानिक कौन हैं और इस महत्वपूर्ण आकलन में क्या होता है? हम इस पर करीब से नज़र डालने जा रहे हैं कि आईपीसीसी रिपोर्ट कैसे बनाई जाती है और कुछ बार्तें जो आप 9 अगस्त, 2021 को रिपोर्ट के जारी होने के साथ सुनेंगे.

आईपीसीसी क्या है?

आईपीसीसी का मतलब इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज है. यह संयुक्त राष्ट्र का जलवायु-विज्ञान-केंद्रित संगठन है. यह लगभग 1988 से है, और इसके 195 सदस्य देश हैं. हर सात साल या इसके आसपास, आईपीसीसी जलवायु की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी करता है. यह जलवायु परिवर्तन के विज्ञान, इसके प्रभाव और इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर सबसे अद्यतित, सहकर्मी-समीक्षित शोध का सारांश होता है.

इन रिपोर्टों का उद्देश्य सभी को, विशेष रूप से शासी निकायों को, जलवायु परिवर्तन के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करना है.आईपीसीसी अनिवार्य रूप से सरकारों को जलवायु परिवर्तन के विज्ञान, जोखिम और सामाजिक और आर्थिक घटकों के बारे में प्रकाशित हजारों पत्रों का समग्र संस्करण प्रदान करता है.

समझने के लिए दो महत्वपूर्ण बातें हैं -

आईपीसीसी रिपोर्ट गैर-पक्षपाती हैं. प्रत्येक आईपीसीसी देश रिपोर्ट-लेखन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए वैज्ञानिकों को नामित कर सकता है, और यह एक गहन और पारदर्शी समीक्षा प्रक्रिया है. आईपीसीसी सरकारों को यह नहीं बताता कि क्या करना है. इसका लक्ष्य जलवायु परिवर्तन, इसके भविष्य के जोखिमों और वार्मिंग की दर को कम करने के विकल्पों पर नवीनतम ज्ञान प्रदान करना है.

यह रिपोर्ट इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

आखिरी बड़ा आईपीसीसी आकलन 2013 में जारी किया गया था. आठ साल में बहुत कुछ बदल सकता है. न केवल कंप्यूटर की गति और जलवायु मॉडलिंग में बहुत सुधार हुआ है, बल्कि हर साल वैज्ञानिक पृथ्वी की जलवायु प्रणाली के बारे में अधिक से अधिक समझते हैं और दुनिया भर के विशिष्ट क्षेत्रों और लोगों के जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हैं.

शोध कहां से आता है?
आईपीसीसी अपना स्वयं का जलवायु-विज्ञान अनुसंधान नहीं करता है. इसके बजाय, यह हर किसी का सारांश प्रस्तुत करता है. आगामी रिपोर्ट दुनिया भर में आईपीसीसी सदस्य सरकारों द्वारा नामित 234 वैज्ञानिकों द्वारा लिखी गई है. ये वैज्ञानिक पृथ्वी और जलवायु विज्ञान विशेषज्ञ हैं.

यह रिपोर्ट -आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट बनाने वाली चार में से पहली - जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों के पीछे के भौतिक विज्ञान को देखती है. अकेले इसमें मौजूदा शोध के 14,000 से अधिक उद्धरण होंगे. वैज्ञानिकों ने 31 जनवरी, 2021 तक प्रकाशित जलवायु-विज्ञान से संबंधित सभी शोधों को देखा.

इन वैज्ञानिकों, जिन्हें उनके समय और प्रयास के लिए मुआवजा नहीं दिया जाता है, ने स्वेच्छा से उन 14,000 से अधिक पत्रों को पढ़ने के लिए तैयार किया, ताकि आपको ऐसा करने की आवश्यकता न पड़े. इसके बजाय, आप चरम मौसम या समुद्र के स्तर में वृद्धि में क्षेत्रीय परिवर्तन जैसे विषयों पर वैज्ञानिक सहमति वाले उनके छोटे अध्याय पढ़ सकते हैं.

आईपीसीसी अपनी समीक्षा प्रक्रिया के बारे में भी पारदर्शी है और यह प्रक्रिया व्यापक है. रिपोर्ट के मसौदे को अन्य वैज्ञानिकों के साथ-साथ सरकारों के साथ टिप्पणियों के लिए साझा किया जाता है. प्रकाशन से पहले, 234 लेखकों को अपने काम पर 75,000 से अधिक टिप्पणियों को भी ध्यान में रखना होता है.

9 अगस्त 2021 को जारी की जाने वाली रिपोर्ट जैसी इन बड़ी रिपोर्टों के लिए सरकारी इनपुट, पूरी तरह से रिपोर्ट ड्राफ्ट पर टिप्पणी करने तक ही सीमित है. हालाँकि, इन रिपोर्टों के साथ आने वाले नीति निर्माताओं के लिए संक्षिप्त सारांश में सरकारें अपनी बात अधिक मजबूती से रख सकती हैं, क्योंकि उन्हें आम सहमति से सहमत होना पड़ता है और आमतौर पर शब्दों पर विस्तृत बातचीत होती है. हर कोई बस एक बात समझना चाहता है कि जलवायु परिवर्तन के रूप में भविष्य कैसा दिख सकता है.

उस भविष्य की एक झलक पाने के लिए, वैज्ञानिक ऐसे कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करके प्रयोग चलाते हैं जो पृथ्वी की जलवायु का अनुकरण करते हैं. इन मॉडलों के साथ, वैज्ञानिक पूछ सकते हैं: यदि ग्लोब एक विशिष्ट मात्रा से गर्म होता है, तो समुद्र के स्तर में वृद्धि, सूखे और बर्फ की चादर के संदर्भ में क्या हो सकता है? क्या होगा यदि ग्लोब इससे कम - या अधिक गर्म हो जाए? फिर परिणाम क्या हैं?

आईपीसीसी परिदृश्यों के एक सेट का उपयोग यह समझने की कोशिश करने के लिए करता है कि भविष्य कैसा दिख सकता है.

आपको परवाह क्यों करनी चाहिए?

अब तक, 2021 दुनिया भर में घातक चरम मौसम की घटनाओं को लेकर आया है, जिसमें व्यापक जंगल की आग से लेकर अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक वर्षा और अचानक बाढ़ शामिल हैं. इस तरह की घटनाएं गर्म दुनिया में अधिक आम हो जाती हैं.

आईपीसीसी रिपोर्ट से आशावादी तस्वीर उभरने की उम्मीद न करें. जलवायु परिवर्तन एक ऐसी खतरे की घंटी है, जिसकी आवाज लगातार बढ़ रही है और जो अन्य वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी है. तो, रिपोर्ट पढ़ें और ग्रीनहाउस गैसों के प्रमुख स्रोतों को पहचानें जो जलवायु परिवर्तन के कारक हैं.

व्यक्ति अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए कदम उठा सकते हैं, जिसमें कम ड्राइविंग, ऊर्जा बचाने वाले लाइटबल्ब का उपयोग करना और अपने भोजन विकल्पों पर पुनर्विचार करना शामिल है. लेकिन यह भी समझें कि 20 जीवाश्म ईंधन कंपनियां सभी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग एक तिहाई के लिए जिम्मेदार हैं. इसके लिए सरकारों को अब कार्रवाई करने की आवश्यकता है.

(स्टेफ़नी स्पेरा, रिचमंड विश्वविद्यालय)

(पीटीआई-भाषा)

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