मुंबई: अमिताभ बच्चन के हाव-भाव और रंग-ढंग के साथ उनकी आवाज भी उनको एक सफल एक्टर के रुप में स्थापित करती है. कई बार फिल्म यह मांग कर सकती है कि कलाकार बिना किसी शब्द के सिर्फ चेहरे के भाव और शरीर की भाषा का इस्तेमाल कर अपनी एक अलग छाप छोड़े. ऐसे दृश्य अक्सर दर्शकों की दिलों में उतर जाते हैं. ऐसे में दमदार आवाज के मालिक अमिताभ बच्चन कैसे पीछे रह सकते हैं. सदी के महानायक ने हमेशा ही शानदार प्रदर्शन देकर सबको खुश किया है. उनके जन्मदिन के अवसर पर देखिए बड़े पर्दे पर अमिताभ की खामोशी के वह पल बिना कहे बहुत कुछ कह गए.
1 आनंद (1971)- फिल्म में अमिताभ नेएक डॉक्टर की भूमिका निभाई थी, जो बीमार राजेश खन्ना का इलाज करते हैं. फिल्म का वह दृश्य जब खन्ना अपने घर की बालकनी पर, 'कहीं दूर जब दिन ढल जाए', गाते हैं और उसी समय बच्चन प्रवेश करते हैं, कमरे की बत्ती बुझाते हैं और फिर, खड़े हो जाते हैं, बिना कुछ कहे.
2 जंजीर (1973)-यह वह फिल्म थी जिसने बच्चन को हर घर में पहचान दिलाई और एंग्री यंग मैन शब्द को चलन में ला दिया, जबकि फिल्म के संवाद, विशेष रूप से पुलिस स्टेशन मुठभेड़ शानदार रहा. अब फिल्म के उस दृश्य पर नजर डालिए, जहां इंस्पेक्टर विजय खन्ना थोड़ी तरलता दिखाते हैं और उनमें रोमांस पनपता है. क्योंकि जया भादुड़ी को सुरक्षा मुहैया करते हैं और खिड़की पर खड़े होकर भोलापन दिखाते हुए गाना सुनते हैं 'दीवाने है, दीवानों को न घर चाहिए.