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वित्त वर्ष 18-19 के लिए वार्षिक जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाई गई

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "कोविड-19 महामारी के कारण देश के कई हिस्सों में सरकार को 2018-19 के लिए वार्षिक रिटर्न (फॉर्म जीएसटीआर-9) और सुलह कथन (फॉर्म जीएसटीआर-9सी) दाखिल करने के लिए नियत तारीख का विस्तार करने की आवश्यकता के बारे में कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं, क्योंकि सामान्य व्यवसाय संचालन अभी भी संभव नहीं है."

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Published : Oct 24, 2020, 3:58 PM IST

वित्त वर्ष 18-19 के लिए वार्षिक जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाई गई
वित्त वर्ष 18-19 के लिए वार्षिक जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाई गई

नई दिल्ली: सरकार ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण करदाताओं के सामने आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए वित्त वर्ष 2018-19 के लिए वार्षिक जीएसटी रिटर्न (जीएसटीआर -9) और सुलह बयान (जीएसटीआर -9 सी) दाखिल करने की अंतिम तिथि शनिवार को बढ़ा दी.

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "कोविड-19 महामारी के कारण देश के कई हिस्सों में सरकार को 2018-19 के लिए वार्षिक रिटर्न (फॉर्म जीएसटीआर-9) और सुलह कथन (फॉर्म जीएसटीआर-9सी) दाखिल करने के लिए नियत तारीख का विस्तार करने की आवश्यकता के बारे में कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं, क्योंकि सामान्य व्यवसाय संचालन अभी भी संभव नहीं है."

मंत्रालय ने कहा कि इन अभ्यावेदन ने व्यवसायों और लेखा परीक्षकों को इस संबंध में अनुपालन करने में सक्षम बनाने के लिए जीएसटीआर -9 और जीएसटीआर -9 सी दाखिल करने की अंतिम तिथि को 31 अक्टूबर से आगे बढ़ाने की मांग की.

मंत्रालय ने कहा, "जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर उसी के मद्देनजर, वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक रिटर्न (फॉर्म जीएसटीआर-9/ जीएसटीआर-9ए) और सुलह विवरण (फॉर्म जीएसटीआर-9सी) दाखिल करने की नियत तारीख का विस्तार वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 31 अक्टूबर 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक करने का निर्णय लिया गया है."

अधिकारियों ने कहा कि अधिसूचना उचित समय में जारी की जाएगी.

ये भी पढ़ें:आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ी

2018-19 के लिए वार्षिक रिटर्न (जीएसटीआर -9 और जीएसटीआर -9 ए) दाखिल करना उन करदाताओं के लिए वैकल्पिक है, जिनका कुल कारोबार 2 करोड़ रुपये से कम था.

इसी तरह, यह जीएसटीआर -9 सी फॉर्म में सुलह बयान दर्ज करने के लिए 5 करोड़ रुपये से कम वार्षिक कारोबार वाली संस्थाओं के लिए वैकल्पिक है.

(वरिष्ठ पत्रकार कृष्णानन्द त्रिपाठी का लेख)

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