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चार दशक के सबसे बड़ी गिरावट में भारत की जीडीपी विकास दर

कोविड-19 संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है.

अप्रैल-जून तिमाही में 23.9% गिरी भारतीय अर्थव्यवस्था
अप्रैल-जून तिमाही में 23.9% गिरी भारतीय अर्थव्यवस्था

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Published : Aug 31, 2020, 5:40 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 7:17 PM IST

नई दिल्ली: चालू वित्तवर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की गिरावट रही. कोरोना महामारी से देश की आर्थिक विकास पर भारी असर हुआ है. यह बात सोमवार को जारी चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधिकारिक आंकड़ों से जाहिर होती है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी जीडीपी के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, स्थिर मूल्य (2011-12) के आधार पर चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 26.90 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि बीते वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में जीडीपी 35.35 लाख करोड़ रुपये था.

इस प्रकार जीडीपी में आलोच्य तिमाही में 23.9 फीसदी का संकुचन रहा जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में 5.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी.

अप्रैल-जून तिमाही में 23.9% गिरी भारतीय अर्थव्यवस्था

वहीं, वर्तमान मूल्य पर 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 38.08 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले साल इसी तिमाही में 49.18 लाख करोड़ रुपये था जोकि 22.6 फीसदी के संकुचन को दर्शाता है.

ये आंकड़े उस अवधि को शामिल करते हैं जब देश दो महीने - अप्रैल और मई - के लिए एक पूर्ण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के तहत था और जून के महीने को भी कवर करता है जब सरकार ने देश में जून की शुरुआत से सामाजिक-आर्थिक गतिविधि का क्रमिक उद्घाटन शुरू किया था.

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जैसा कि अपेक्षित था, कुछ क्षेत्रों में दूसरों की तुलना में अधिक मार पडी़ है. लेकिन अधिकांश व्यावसायिक और आर्थिक गतिविधियों के लिए यह तीन महीनों में पूरी तरह से भारी था.

एनएसओ ने कहा कि कोविड 19 महामारी फैलने की दृष्टि से गैर-जरूरी आर्थिक गतिविधियों और सार्वजनिक आवाजाही पर 25 मार्च से प्रतिबंध लगा दिया गया था.

देश के सर्वोच्च सांख्यिकी निकाय ने कहा कि प्रतिबंध धीरे-धीरे हटा लिए गए हैं, लेकिन इसका आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ इसके वित्तीय संग्रह तंत्र पर भी प्रभाव पड़ा है.

परिवहन, ऑटोमोबाइल सेक्‍टर सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए

जैसा कि उम्मीद की जा रही थी कि परिवहन क्षेत्र में सबसे अधिक गिरावट आई है. एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रेल यात्री सेवाएं लगभग शून्य थीं क्योंकि इनमें 99.5% की गिरावट आई थी, जबकि हवाई अड्डों पर यात्रियों के डेटा में 94.1% की गिरावट दर्ज की गई थी और हवाई अड्डे पर कार्गो में 57.2% की गिरावट और प्रमुख बंदरगाहों पर कार्गो की 19.8% की गिरावट आई.

ऑटोमोबाइल सेक्टर कोविड-19 लॉकडाउन का एक प्राकृतिक शिकार था, जिसमें वाणिज्यिक वाहन खंड सबसे बड़ा हिट था. पिछले वर्ष की इसी अवधि में उनकी बिक्री की तुलना में वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में 84.8% की गिरावट आई थी.

इसी तरह, स्टील के उत्पादन और खपत में 56.8% की गिरावट आई, जबकि सीमेंट के उत्पादन में 38.3% की गिरावट आई, कोयले के उत्पादन में 15% से अधिक की गिरावट आई.

औद्योगिक इकाइयों के बंद होने और प्रवासी श्रमिकों के बड़े पैमाने पर रिवर्स माइग्रेशन ने देश में विनिर्माण गतिविधि को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिसमें 40.7% की गिरावट आई, धातु खनिजों के उत्पादन में 43.3% की गिरावट आई, जबकि खनन गतिविधि और बिजली उत्पादन में क्रमशः 22.4% और 15.8% की गिरावट आई.

अपने मूल्यांकन में, एनएसओ ने आंकड़ों में अपर्याप्तता को भी इंगित किया क्योंकि वैधानिक रिटर्न दाखिल करने की अधिकांश समय सीमाएं भी अधिकारियों द्वारा बढ़ा दी गई हैं.

एनएसओ ने कहा, "इन परिस्थितियों में, सामान्य डेटा स्रोतों को जीएसटी जैसे विकल्प, पेशेवर निकायों के साथ बातचीत आदि द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था और जो स्पष्ट रूप से सीमित थे."

Last Updated : Aug 31, 2020, 7:17 PM IST

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