इंडियाबुल्स ने हेराफेरी के आरोपों को बताया बेबुनियाद, कहा-छवि खराब करने की चाल
इंडिया बुल्स ने सोमवार को बयान में कहा, "रिट याचिका आज ही दायर की गई है और न्यायालय ने इस पर कोई सुनवाई नहीं की है. इंडियाबुल्स हाउसिंग का कुल कर्ज ही करीब 90,000 करोड़ रुपये है जबकि 98,000 करोड़ रुपये के हेरफेर का आरोप लगाया गया है. यह विचित्र है."
नई दिल्ली: इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिडेट (आईएचएफएल) ने उच्चतम न्यायालय में कंपनी के खिलाफ 98,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप में दायर याचिका को सोमवार को "विचित्र" बताया. कंपनी ने कहा कि यह उसकी छवि को "खराब" करने और लक्ष्मी विलास बैंक के साथ उसके विलय में अड़ंगा डालने की चाल हो सकती है.
इंडिया बुल्स ने सोमवार को बयान में कहा, "रिट याचिका आज ही दायर की गई है और न्यायालय ने इस पर कोई सुनवाई नहीं की है. इंडियाबुल्स हाउसिंग का कुल कर्ज ही करीब 90,000 करोड़ रुपये है जबकि 98,000 करोड़ रुपये के हेरफेर का आरोप लगाया गया है. यह विचित्र है."
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कंपनी ने कहा कि याचिकाकर्ता अभय यादव ने कंपनी के सिर्फ चार शेयर खरीदे हैं और उनकी ओर से दायर याचिका कंपनी की छवि धूमिल करने की एक निराशापूर्ण प्रयास है.
यादव ने याचिका में इंडियाबुल्स, उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ जनता के 98,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप में शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर कर कार्रवाई और जनता के पैसों की सुरक्षा की मांग की है.