भिंड।हमारे देश में कई लोगों को जानवर पालने का शौख होता है लेकिन वही जानवर बीमार हो या किसी हादसे में घायल हो जाएं तो अक्सर लोग उन्हें बेसहारा छोड़ देते हैं. राह चलते किसी की टक्कर से कोई कुत्ता या बिल्ली चोटिल हो जाये तो उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता है लेकिन ऐसे जानवरों के लिए भिंड के कुछ युवा फरिश्ते बन रहे हैं जिन्होंने इन बेजुबानों के लिए एक टेक केयर होम बनाया है. खास बात यह है कि उनके काम को देखते हुए भिंड कलेक्टर भी इतने प्रभावित हुए कि पशु चिकित्सा विभाग की जमीन इस टेक केयर होम के लिए उपलब्ध कराई. आज ये फैसिलिटी जानवरों के लिए किसी घर से कम नही है.
सरनेम बदलकर ‘इंसानियत’ रख लिया:इंसानियत युवा मंडल समिति एक ऐसा समूह है जिसके सदस्य कोई धनाढ्य नहीं बल्कि आम परिवारों से हैं. कोई टीचर है तो कोई स्टूडेंट, कोई दुकानदार है तो कोई टमटम चलता है लेकिन जानवरों के प्रति अपने प्रेम भाव के लिए प्रतिदिन दो घंटे का समय शिफ्ट में निकल कर सेवा करने जरूर आता है. उनका डेडिकेशन इस बात से भी समझा जा सकता है कि इस सेवा भाव पर कभी कोई सवाल ना खड़ा हो या उनके काम में कोई व्यक्तिगत स्वार्थ ना आए इस समूह के सदस्य अपने नाम के आगे सरनेम की जगह इंसानियत लिखते हैं.
घायल बीमार जानवरों का करते हैं इलाज और देखभाल:इस समूह के सदस्य अनिकेत इंसानियत ने बताया कि हमारे पास अक्सर कॉल आते हैं कि कोई बंदर कुत्ता या अन्य जानवर है जिस पर किसी ने गाड़ी चढ़ा दी या एक्सीडेंटल है तो हमारी टीम के सदस्य उस जगह जाकर उन्हें आश्रम पर लाते हैं फिर यहां उनका इलाज किया जाता है. हमारे यहां कुत्ते, बिल्ली, बंदर हर तरह के जानवर हैं जो इंजर्ड हैं किसी की कमर की हड्डी टूटी है तो किसी का पैर फ्रैक्चर है या किसी को दिखाई नहीं देता. हम यहां उनका ट्रीटमेंट करते हैं जब वो ठीक हो जाते हैं उसके बाद अगर कोई उन्हें लेना चाहता है तो उन्हें डोनेट भी कराते हैं और अगर कोई नहीं लेता तो उनकी देखभाल हम लोग ही करते हैं.
इंटरनेट के जरिए सीखा उपचार का तरीका:अनिकेत ने बताया कि इन जानवरों के इलाज के लिए भी इस आश्रम में सभी सुविधाएं हैं. कुछ सदस्य ऐसे हैं जिन्होंने जानवरों के इलाज के लिए इंटरनेट और यूट्यूब के सहारे उपचार सीख लिया है क्योंकि कई बार इलाज के समय डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते थे. ऐसे में आपात परिस्थियों को देखते हुए सदस्य कुलदीप और शिल्पा ने इलाज करना सीख लिया है. इस समूह की सदस्य शिल्पा इंसानियत ने बताया कि वे करीब 6 वर्षों से इस समूह का हिस्सा हैं. वे यहां इन बेज़ुबानों की सेवा का भाव देख कर इतना प्रभावित थी कि धीरे धीरे खुद भी जुड़ गई और अब प्रतिदिन यह समय निकाल कर सेवा करने आती हैं. उन्हें यहां आना अच्छा लगता है.