नई दिल्ली : सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेज इंडिया (CESSI) ने कहा कि बुधवार को सूर्य से आग की लपटों का उत्सर्जन हुआ, जिसमें उपग्रह संचार (satellite communications) और वैश्विक स्थिति प्रणाली को प्रभावित करने की क्षमता है. कोलकाता के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च में एसोसिएट प्रोफेसर और CESSI के समन्वयक दिब्येंदु नंदी ने बताया कि सौर चुंबकीय सक्रिय क्षेत्र AR12992 से X2.2 श्रेणी का सोलर फ्लेयर विस्फोट भारतीय समायानुसार 9.27 बजे हुआ.
सोलर फ्लेयर (Solar flares) ऊर्जा के शक्तिशाली विस्फोट होते हैं जो रेडियो संचार, इलेक्ट्रिक पावर ग्रिड, नेविगेशन सिग्नल को प्रभावित कर सकते हैं और अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं. इस फ्लेयर को एक्स-क्लास (X-Class) के रूप में वर्गीकृत किया गया है जो सबसे तीव्र चमक (flare) को दर्शाता है, जबकि संख्या इसकी ताकत के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करती है.
भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और एशिया-प्रशांत क्षेत्रों में मजबूत आयनमंडलीय विक्षोभ (ionospheric perturbation) जारी है. CESSI ने ट्वीट कर कहा, इससे उच्च आवृत्ति संचार ब्लैकआउट (high frequency communication blackouts), उपग्रह विसंगतियां (satellite anomalies), जीपीएस सिन्टलेशन (GPS scintillations), एयरलाइन संचार (airline communication) प्रभावित होने की उम्मीद है.
नंदी ने कहा कि CESSI ने 18 अप्रैल को एक्स-क्लास फ्लेयर के विस्फोट की भविष्यवाणी की थी. उन्होंने कहा कि CESSI के वैज्ञानिक आग की लपटों के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं. नासा के अनुसार, वर्गीकरण प्रणाली के आधार पर सबसे बड़े फ्लेयर को 'एक्स-क्लास फ्लेयर' के रूप में जाना जाता है, जो सौर ज्वालाओं को उनकी शक्ति के अनुसार विभाजित करता है. सबसे छोटे वाले फलेयर्स ए-क्लास (पृष्ठभूमि स्तरों के पास) हैं, इसके बाद बी, सी, एम और एक्स है. नासा के अनुसार, भूकंप के लिए रिक्टर पैमाने के समान, प्रत्येक अक्षर ऊर्जा उत्पादन में 10 गुना वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है. एक एक्स क्लास फ्लेयर का विस्फोट एम क्लास के विस्फोट से दस गुना और सी क्लास फ्लेयर का 100 गुना है.
यह भी पढ़ें- Space Debris : पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे भारत के 217 अंतरिक्ष पिंड, मलबा कम करने के प्रयास जारी