कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट के जज राजशेखर मंथा ने छात्र की मौत के मामले में IIT खड़गपुर के निदेशक को फटकार लगाई. न्यायाधीश ने सीधे आईआईटी खड़गपुर के निदेशक वीरेंद्र कुमार तिवारी से पूछा, 'आपके घर में बेटा या बेटी नहीं है! आपकी प्राथमिकता क्या है, विदेश जाना, या छात्र की मौत की जांच करना?' IIT-खड़गपुर के तीसरे वर्ष के छात्र फैजान अहमद की 3 नवंबर को IIT में अप्रत्याशित रूप से मृत्यु हो गई. शुरू में, पुलिस ने माना कि यह आत्महत्या थी, लेकिन असम से फैजान का परिवार उसके शरीर को लेने आया और कथित तौर पर रैगिंग को फैजान की मौत का कारण बताया.
पूरे मामले को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया गया था. इससे पहले कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद खड़गपुर आईआईटी के निदेशक और पुलिस से लिखित रिपोर्ट तलब की थी. रिपोर्ट सौंपी गई, लेकिन अदालत ने एक से अधिक बार जानना चाहा कि निदेशक ने इस संबंध में क्या कदम उठाए हैं. आईआईटी के अधिकारी अपने जवाबों से अदालत को संतुष्ट नहीं कर सके. आखिरकार नाराज जज ने डायरेक्टर वीरेंद्र कुमार तिवारी को कोर्ट में तलब किया, जो शुक्रवार को पेश हुए.
तिवारी के वकील अनिंद्य मित्रा ने कहा, 'घटना के बाद, तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया गया. फिर अनुशासनात्मक समिति ने एक रिपोर्ट बनाई. उसके बाद, उच्च शक्ति समिति का गठन किया गया.' वकील के बयान को सुनते हुए, न्यायमूर्ति मंथा ने तुरंत पूछा, 'एक लड़के की इस तरह की मौत और अधिकारियों द्वारा इसे कालीन के नीचे ब्रश करने का प्रयास गंभीर चिंता का विषय है.' फिर जज ने अपना ध्यान डायरेक्टर की ओर घुमाते हुए पूछा, 'बेटा है या बेटी? अगर आप उनके बारे में सोचेंगे तो उन माता-पिता का दर्द समझ पाएंगे, जो आर्थिक तंगी के चलते गुवाहाटी से नहीं आ पाते हैं.'
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आगे न्यायाधीश ने कहा, 'तुम्हारे लिए कौन सा ज़्यादा अहम है? अदालत द्वारा भेजा गया समन या टोक्यो जाना? आप रैगिंग की घटना को इतने हल्के में क्यों ले रहे हैं? अदालत चाहती है कि निदेशक इस संबंध में सक्रिय रहें.' न्यायाधीश ने आदेश में कहा, आईआईटी खड़गपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में इस तरह की घटना होना काफी घटिया है. इनके कारण विद्यार्थी मानसिक रोग के शिकार हो सकते हैं. निदेशक ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट की जांच के बाद वादी के वकील अपनी आपत्ति दर्ज कराएंगे. मामले की अगली सुनवाई छह फरवरी को निर्धारित की गई है.