नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने हिंदू उत्तराधिकार कानून की धारा 15(1)(डी) का संदर्भ देते हुए कहा कि हिंदू महिला के पितृ पक्ष के वारिस में उन व्यक्तियों का उल्लेख है, जो संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करने के अधिकारी हैं.
पीठ ने कहा कि धारा 15(1)(डी) में इंगित किया गया है कि पिता के वारिस उत्तराधिकारी के तहत कवर है और उत्तराधिकार प्राप्त कर सकते हैं. अगर महिला के पिता के उत्तराधिकारी उन लोगों में शामिल है जो संभवत: उत्तराधिकार प्राप्त कर सकते हैं तो उन्हें महिला के लिए अजनबी या परिवार से अलग नहीं माना जा सकता.
हिंदू उत्तराधिकार कानून की धारा 15(1)(डी) हिंदू महिला के लिए उत्तराधिकार के सामान्य नियम से संबंधित है जो कहती है कि पिता के वारिसों को भी संपत्ति का उत्तराधिकार दिया जा सकता हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि 'परिवार' शब्द को विस्तृत संदर्भ में समझना चाहिए और यह केवल करीबी रिश्ते या कानूनी वारिस तक ही सीमित नहीं है बल्कि इनमें वे व्यक्ति भी हैं जो किसी तरह पूर्वज से जुड़े हुए हो, दावे का एक अंश हो या भले ही उनके पास एक उत्तराधिकारी हो.