नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj govt of MP) को झटका लगा है. शीर्ष कोर्ट ने बुधवार को उस स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है, जिसमें नगर निगम के महापौर व नगर पालिका, नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के आरक्षण पर हाई कोर्ट के स्टे को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में 14 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर फैसला रिजर्व रखा था, जिसे 15 दिसंबर को सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंचायत चुनाव के नियम संबंधी याचिका को जबलपुर हाईकोर्ट को रेफर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक ही याचिका को दो न्यायालयों में नहीं सुना जा सकता, जिसकी वजह से अब सारी सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में होगी.
राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया था कि नगर पालिका अधिनियम 1999 के नियम छह में रोटेशन की प्रक्रिया निर्धारित की है, लेकिन हाई कोर्ट ने नियम छह के पूरे नियमों को नहीं पढ़ा है. संविधान के अनुच्छेद 243 टी के क्लाज 5 में राज्य विधायिका को शक्तियां दी गई हैं. नियम के तहत अपने विवेक से कार्य कर सकते हैं. इसके साथ ही आबादी के आधार पर पदों को आरक्षित किया जाता है, लेकिन कोर्ट ने सारे तर्क खारिज कर दिए.
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