नई दिल्ली : जब से कोविड-19 महामारी ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है, दुनिया भर के देश तत्काल आधार पर टीकाकरण के लिए दौड़ रहे हैं. इसके बीच वैक्सीन कूटनीति दुनिया भर के देशों के लिए भू-राजनीति के प्रमुख कारकों में से एक बन गई है. रूस, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत जैसे देशों को अपनी विदेश नीति के एजेंडा में वैक्सीन को एक उपकरण के रूप में वैक्सीन कूटनीति का उपयोग करते देखा जा रहा है.
हाल ही में, रूस अपने टीके स्पुतनिक वी से लाभ उठाने का कोशिश कर रहा है. भारत ने रूसी निर्मित कोविड-19 वैक्सीन के उपयोग को मंजूरी दे दी है, क्योंकि देश अभी भी महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. इसके साथ ही स्पुतनिक वी भारत में इस्तेमाल होने वाली पहली विदेशी निर्मित वैक्सीन बन गई है और दुनिया के सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण अभियान में योगदान दे रहा है.इसने इस क्षेत्र में रूस की वैक्सीन कूटनीति को बढ़ाया है.
रविवार को भारत में रूसी राजदूत एन कुदाशेव ने घोषणा की कि भारत में रूसी कोविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक वी का उत्पादन प्रति वर्ष 850 मिलियन खुराक तक बढ़ने की उम्मीद है.उन्होंने यह भी कहा कि रूस की सिंगल डोज कोविड वैक्सीन स्पुतनिक वी लाइट जल्द ही भारत में पेश करने की योजना है.
इस बारे में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक प्रोफेसर हर्ष वी पंत से पूछा गया कि क्या उपयोग के लिए स्पुतनिक वी वैक्सीन को प्रशासित करने का भारत का निर्णय रूस की सॉफ्ट कूटनीति की जीत है, तो उन्होंने कहा 'भारत का निर्णय वैक्सीन आपूर्ति बढ़ाने के भारत के प्रयास का एक कार्य है. जब से रूस वैक्सीन पर भारत के साथ साझेदारी करने में सक्षम रहा है, इसलिए भारत ने इसका विकल्प चुना है. मुझे नहीं लगता कि इसे रूस के लिए सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी के मामले में एक बड़े कारक के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन रूस भारत का ऐतिहासिक साझेदार है और इस मामले में उसने मदद की पेशकश की और भारत ने मदद ली, लेकिन जहां तक भारत-रूस संबंधों का सवाल है, तो निश्चित रूप से वैक्सीन कूटनीति महत्वपूर्ण है.'
उन्होंने कहा कि क्या रूस-चीन वैक्सीन सहयोग गति प्राप्त कर रहा है? हाल ही में, उत्पादन को गति देने के लिए रूस को कई चीनी फर्मों को स्पुतनिक वी कोरोना वायरस वैक्सीन बनाते हुए देखा जा रहा है, क्योंकि इसके डोज की मांग बढ़ रही है. इसके अलावा रूस ने हाल के हफ्तों में चीनी वैक्सीन कंपनियों के साथ कुल 260 मिलियन खुराक के तीन सौदों की घोषणा की है.
इस बीच भारत की वैक्सीन कूटनीति ने देश में ऑक्सीजन, चिकित्सा सहायता, वैक्सीन आदि की कमी से महामारी की दूसरी लहर से जूझवे के साथ कमजोर हो गई और चीन ने अपनी विफल वैक्सीन नीति का लाभ उठाने के लिए कदम यह उठाया.