नई दिल्ली : राज्यसभा ने निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम, 1961 में संशोधन का प्रावधान करने वाले एक संशोधन विधेयक को बुधवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. इसके तहत संकट ग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 उच्च सदन में चर्चा के लिए पेश किया. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच विधेयक पर बीजद के डॉ अमर पटनायक, टीआरएस के वी लिंगैया यादव, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने अपनी बात रखी.
हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री सीतारमण ने संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जमाकर्ताओं की मेहनत की कमाई तक उनकी आसान और समयबद्ध पहुंच सुनिश्चित करने और जमाकर्ताओं में अपने धन की सुरक्षा के बारे में विश्वास पैदा करने के लिए, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम, 1961 में संशोधन किया गया है.
उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के विभिन्न उपबंधों के तहत बीमित बैंक के बैंकिंग व्यवसाय के निलंबन की स्थिति में जमाकर्ताओं को समयबद्ध तरीके से निक्षेप बीमा के माध्यम से उनकी बचत तक पहुंच को सुगम बनाना है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार 28 जुलाई को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 (डीआईसीजीसी) अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी जिसके तहत संकट ग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता एक समय के अंदर अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे.