हैदराबाद :छह सितंबर 2019 में NGT ने केंद्र से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण (protection of Great Indian Bustard) के लिए योजना तैयार करने को कहा था, जिसके बाद राजस्थान के बाड़मेर में, लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian bustard) के संरक्षण के लिए राजस्थान वन्यजीव विभाग (Rajasthan Wildlife department), भारतीय वन्यजीव संस्थान , देहरादून और हौबारा संरक्षण अंतर्राष्ट्रीय कोष (International Fund for Houbara Conservation), अबू धाबी द्वारा एक समन्वित प्रयास किया और एक कैप्टिव प्रजनन कार्यक्रम चलाया.
इस कार्यक्रम के तहत भविष्य की प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों के लिए 25 बस्टर्ड (स्थानीय रूप से सोन चिरैया (Sone Chiraiya) के रूप में भी जाना जाता है) को 'फाउंडिंग पॉप्लेशन' के रूप में बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया और इसके तहत पिछले नवंबर तक पैदा हुए नौ चूजों को देख रेख की जा रही है.
एनजीटी अध्यक्ष (NGT Chairperson) न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल (Justice Adarsh Kumar Goel ) की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India ) द्वारा प्रस्तुत सुझावों के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया.
पैनल में पर्यावरण और वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests) के महानिदेशक और अतिरिक्त महानिदेशक, वन (वन्यजीव), विद्युत मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) और गुजरात और राजस्थान के ऊर्जा विभागों के नामांकित व्यक्ति शामिल हैं.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union Environment Ministry ) ने स्वीकार किया है कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बीच वयस्क मृत्यु दर अभी भी बहुत अधिक है क्योंकि बिजली की लाइनों उनके उड़ान पथों को तोड़ती हैं.
वर्लड इंस्टीटियूट ऑफ इंडिया (the Wildlife Institute of India) ने कई उपायों का सुझाव दिया है, जिसमें प्राथमिकता वाले बस्टर्ड आवासों से गुजरने वाली सभी पावर ट्रांस्मिशन लाइनों (power transmission lines) को कम करना, नए वांइड टरबाइनों को कम करना होगा.
वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया रिपोर्ट की सिफारिशें
वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कई उपायों का सुझाव दिया, जैसे कि प्राथमिकता वाले बस्टर्ड आवासों से गुजरने वाली पावर ट्रांस्मिशन लाइनों को कम करना और नए वाइंड टरबाइन को कम करना
रिपोर्ट में कहा गया है कि थार परिदृश्य में प्रजातियों और अन्य वन्यजीवों के अवैध शिकार को कम करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.
इसके अलावा संरक्षण संगठनों की मदद से स्मार्ट पेट्रोलिंग टूल्स (smart patrolling tools) में वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के प्रशिक्षण के माध्यम से सुरक्षा प्रवर्तन में सुधार करके थार परिदृश्य में जीआईबी और अन्य वन्यजीवों के अवैध शिकार को कम किया जा सकता है.
भारत में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड हैबिटेट
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पहले भारत और पाकिस्तान में व्यापक रुप में मौजाद थीं. वर्तमान में 75 प्रतिशत ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान के थार क्षेत्र में और शेष गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पाई जाती हैं.
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भारत में पाई जाने वाली चार बस्टर्ड प्रजातियों में सबसे बड़ी हैं, अन्य तीन मैकक्वीन बस्टर्ड (MacQueen’s bustard), लेसर फ्लोरिकन (lesser florican ) और बंगाल फ्लोरिकन (Bengal florican) हैं.
उड़ान वाले सबसे भारी पक्षियों में से एक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड घास के मैदानों में आवास बनाकर रहना पसंद करते हैं.
भौमिक पक्षी होने के कारण, वे अपने निवास स्थान के एक भाग से दूसरे भाग में जाने के लिए समय-समय पर उड़ान भरते है और अपना अधिकांश समय जमीन पर बिताते हैं.
वे कीड़ों, छिपकलियों, घास और बीज आदि खाते हैं. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को घास के मैदान की प्रमुख पक्षी प्रजाति माना जाता है और इसलिए यह घास के मैदान के पारिस्थितिक तंत्र के लिए जरूरी हैं.
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए खतरा