हैदराबाद: भारत एक पंथ निरपेक्ष देश है और ये हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं. अब ऐसे देश के एक राज्य की विधानसभा में धर्म विशेष के लिए खास व्यवस्था करना कितना जायज है ? पंथ निरपेक्ष देश और किसी धर्म विशेष के लिए खास व्यवस्था, ये दोनों चीजें एक साथ कैसे हो सकती हैं ? इस सवाल के बारे में आप अपनी राय बाद में बनाइये पहले ये पूरा माजरा और उसके हर पहलू को समझ लीजिये.
माजरा क्या है ?
2 सितंबर 2021, इस दिन झारखंड सरकार ने विधानसभा भवन में कमरा नंबर TW-348 को नमाज कक्ष के रूप में आवंटित करने का आदेश जारी कर दिया. इस नमाज कक्ष में मुस्लिम विधायक और विधानसभा के मुस्लिम कर्मचारी नमाज़ पढ़ सकेंगे. ये आदेश झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो की तरफ से विधानसभा सचिवालय ने जारी किया.
मॉनसून सेशन से पहले सियासी उबाल
झारखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र 3 सितंबर से शुरू होना था लेकिन उससे एक दिन पहले विधानसभा भवन में हज कक्ष के इस नोटिस ने सियासी बवाल मचा दिया. झारखंड में कांग्रेस की सरकार है और बीजेपी मुख्य विपक्षी दल है. सो बीजेपी को बैठे बिठाए जैसे बटेर हाथ लग गया. बीजेपी विधायकों ने सदन के अंदर और बाहर खूब हंगामा किया.
बीजेपी के मुख्य सचेतक विधायक विरंची नारायण ने स्पीकर को चिट्ठी लिखी और हिंदू, बौद्ध, जैन और अन्य धर्मावलंबियों और सरना समुदाय के लिए भी विधानसभा भवन में पूजा के लिए कक्ष उपलब्ध कराने की मांग कर दी.
बीजेपी ने क्या किया ?
विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरू हुआ नहीं कि सदन के अंदर और बाहर सियासी बवाल कटना शुरू हो गया. बीजेपी ने नमाज के लिए कमरे का अलॉटमेंट रद्द करने की मांग कर दी. 3 और 4 सितंबर यानि शनिवार और रविवार की छुट्टी के बाद सोमावर को विधानसभा में भक्तिमय माहौल बन गया. बीजेपी विधायक ढोल-मंजीरे के साथ विधानसभा पहुंचे और जय श्रीराम से लेकर हर-हर महादेव के जयकारे लगाने लगे. एक विधायक जी तो पुजारी के वेश में ही विधासभा पहुंच गए.
बीजेपी विधायकों ने चेतावनी दी कि उनका विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक नमाज के लिए कमरा देने का आदेश रद्द नहीं किया जाता या फिर अलग-अलग धर्मों के लिए कमरे नहीं दिए जाते.
बीजेपी विधायकों ने विधानसभा परिसर में किए कीर्तन-भजन हाईकोर्ट भी पहुंच गया मामला
झारखंड विधानसभा में नमाज पढ़ने के लिए कमरा आवंटित करने का मामला 7 सितंबर को हाईकोर्ट भी पहुंच चुका है. रांची के भैरव सिंह ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर विधानसभा में नमाज पढ़ने के लिए आवंटित कमरे के लिए दिए गए आदेश को चुनौती दी है. याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया है कि विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी धर्म विशेष के लिए विधानसभा में कमरा आवंटित कर सके.
बवाल और बयानबाजी
रविंद्रनाथ महतो, अध्यक्ष, झारखंड विधानसभा- "जिस तरह से इस मामले का प्रचार किया जा रहा है, वैस बिल्कुल नहीं है. पुराने विधानसभा भवन में भी मुस्लिम विधायकों और कर्मचारियों के लिए एक कमरा आवंटित किया गया था. खासकर विधानसभा के मुस्लिम कर्मचारियों के लिए, जहां वो नमाज अदा करते थे. नए भवन में भी उन्होंने एक खाली जगह की मांग की, जहां वो शांति से नमाज पढ़ सकें. खासकर शुक्रवार के दिन. इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक कमरा आवंटित किया गया है. इससे ज्यादा कुछ नहीं है, इस पर विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है"
रविंद्रनाथ महतो, अध्यक्ष, झारखंड विधानसभा- "विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे विधायकों को चेताया कि आसन का अनादर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'अगर आप नाराज हैं तो मुझे पीटें, लेकिन कार्यवाही बाधित न करें."
बाबूलाल मरांडी, नेता विपक्ष, झारखंड विधानसभा- "विधानसभा लोकतंत्र का वो मंदिर है, जिसे किसी धर्म की परिधि में समेटकर नहीं रखा जा सकता लेकिन झारखंड विधानसभा में किसी वर्ग विशेष के लिए नमाज कक्ष का आवंटन किया जाना न केवल एक गलत परंपरा की शुरुआत है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के भी विपरीत है"
दीपक प्रकाश, अध्यक्ष, झारखंड बीजेपी- "हेमंत सोरेन सरकार ने तुष्टीकरण की सारी सीमाएं पार कर दी हैं. लोकतंत्र के मंदिर सदन में एक धर्म विशेष के लिए स्थान आवंटित करना बहुसंख्यक समाज की आस्था को ठेस पहुंचाने वाला है. सरकार अपने निर्णय पर पुन: विचार करे और सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का काम न करे"
सीपी सिंह, मौजूदा बीजेपी विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष- "इबादत का अधिकार सबको है, लेकिन ये सरकार तुष्टीकरण कर रही है. हमें विधानसभा परिसर में किसी के नमाज पढ़ने से कोई आपत्ति नहीं है. अगर किसी धर्म विशेष के लिए नमाज कक्ष निर्धारित किया गया है तो हम भी बहुसंख्यक विधायकों और कर्मचारियों के लिए मंदिर की मांग करते हैं"
रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड- "विधानसभा में नमाज कक्ष का आवंटन असंवैधानिक है. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि नमाज पढ़ने के लिए लिखित रूप से रूम आवंटित कर स्पीकर ने असंवैधानिक कार्य किया है. इसके खिलाफ भाजपा आंदोलन करती रहेगी."
डॉ. इरफान अंसारी, कांग्रेस विधायक- "सभी राज्यों के विधानसभा में नमाज़ पढ़ने की व्यवस्था है. इसमें बीजेपी को हाय तौबा मचाने की जरूरत नहीं है. हमारे अध्यक्ष जी को लगा कि शुक्रवार के दिन कर्मचारी नमाज़ पढ़ने बाहर चले जाते हैं, इससे काम में बाधा आती है. इसलिए एक अलग कमरा उन्होंने अलॉट कर दिया. अगर किसी को पूजा करना है तो वह भी मांग ले. नहीं मिलेगा तब न."
बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य मंत्री, झारखंड सरकार- धर्म के नाम पर उन्माद फैलाने की कोशिश हो रही है जो गलत है. बीजेपी जनता को महंगाई और रोजगार जैसे जनहित से जुड़े मुद्दों से भटका रही है"
झारखंड सरकार के खिलाफ बीजेपी ने खोला मोर्चा दूसरे राज्यों तक भी पहुंचा मामला
इरफान सोलंकी, यूपी की सिसमऊ सीट से सपा विधायक- " नमाज और पूजा आस्था का विषय है. विधानसभा की कार्यवाही के दौरान मुस्लिम विधायक अक्सर सदन की कार्यवाही छोड़कर नमाज़ पढ़ने के लिए मस्जिद जाते हैं. अगर विधानसभा में ही एक कमरा हो तो ठीक रहेगा. हमारे यहां नमाज का टाइम फिक्स है, नमाज पढ़ने के लिए जगह कम हो कम ही सही लेकिन होनी चाहिए. इससे सदन की कार्यवाही नहीं छूटेगी"
यूपी की गोविंद नगर सीट से बीजेपी विधायक सुरेंद्र मैथानी ने इरफान सोलंकी पर निशाना साधते हुए कहा कि अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने कभी नमाज़ पढ़ने के लिए जगह की मांग नहीं की. मांग तब उठाई जा रही है जब विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा और प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं. वो पूरी तरह से तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं और इस सियासी पैंतरे का इस्तेमाल कर रहे हैं.
हरिभूषण ठाकुर, बिहार की बिस्फी सीट से बीजेपी विधायक "झारखंड विधानसभा में जिस तरह अभी नमाज पढ़ने के लिए एक कमरा दिया गया है, यह ठीक नहीं हैं. पंथनिरपेक्ष राज्य और राष्ट्र की जो कल्पना है, उसमें सत्ता धर्म के लिए कोई सुख सुविधा नहीं दे सकती. अगर नमाज के लिए कमरा दिया गया है, तो हनुमान चालीसा और प्रार्थना के लिए भी कमरा दिया जाना चाहिए."
बीजेपी ने लगाया तुष्टीकरण का आरोप वैसे बिहार में भी है ऐसी व्यवस्था लेकिन...
हिमाचल से लेकर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, यूपी, एमपी तक जैसे राज्यों में तो ऐसा कोई प्रावधान नहीं है लेकिन बिहार विधानसभा के साथ विधान परिषद में भी ऐसी व्यवस्था है. जहां नमाज पढ़ने के लिए कमरे अलॉट किए गए हैं लेकिन उसमें शर्त ये है कि केवल पांचों वक्त का नमाज़ी विधायक, विधान परिषद सदस्य या कर्मचारी ही वहां नमाज़ पढ़ सकते हैं.
नमाज़ के लिए कमरा दिया तो पूजा के लिए भी दे दो ?
कुछ लोगों के मन में ये सवाल भी आया होगा कि एक कमरा नमाज के लिए दे दिया तो क्या हो गया ? या फिर नमाज़ के लिए दे दिया तो पूजा के लिए भी दे दो. लेकिन ये ना जायज़ है और संवैधानिक तो बिल्कुल नहीं. इसके बारे में आगे बताएंगे लेकिन पहले ये सोचिये कि भारत पंथनिरपेक्ष देश है जहां कई धर्मों के लोग रहते हैं अगर आज नमाज़ के लिए अलग कमरा दिया गया है और कल मंदिर बनाने और फिर गुरुद्वारा, गिरिजाघर जैसी व्यवस्था करने की मांग उठ जाए तो क्या किया जाएगा. लोकतंत्र का मंदिर तो एक धार्मिक स्थल बनकर रह जाएगा.
विधानसभा में नमाज़ के लिए कमरा देना कितना सही ? क्या कहते हैं संविधान के जानकार ?
विशेषज्ञों के मुताबिक संसद और विधानसभा जैसे संवैधानिक संस्थान संविधान के तहत राज्य की परिभाषा में आते हैं. संविधान के मुताबिक राज्य का कोई धर्म या मजहब नहीं होता वो पंथ निरपेक्ष होता है. ऐसे में विधानसभा भवन या परिसर में नमाज कक्ष संविधान के खिलाफ है.
संविधान एक्सपर्टस के मुताबिक संविधान सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार को देता है लेकिन पंथ निरपेक्ष का मतलब ये नहीं कि राज्य या संवैधानिक संस्थाएं किसी धर्म विशेष से संबंध नहीं रखती हैं. विधानसभा भी एक सेक्युलर यानि पंथ निरपेक्ष संस्था है, जिसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. जैसे भारत एक पंथ निरपेक्ष राष्ट्र है, जिसका कोई विशेष धर्म नहीं है.
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