नई दिल्ली :कोरोना काल में स्कूलों को फिर से खोलने की निरंतर बहस के बीच, गृह मामलों की एक संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि प्राथमिक और पूर्व-प्राथमिक स्कूल नहीं खोले जाने चाहिए और टीके उपलब्ध होने तक शिक्षण के ऑनलाइन तरीके जारी रहने चाहिए.
कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा, समिति का मानना है कि प्राइमरी और प्री-प्राइमरी छात्रों को कक्षाओं में नहीं बुलाया जाना चाहिए और जब तक टीके उपलब्ध नहीं हो जाते या स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आ जाती, तब तक ऑनलाइन ही पढ़ाया जाए. कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने संसद में पेश अपनी 236 रिपोर्ट में ये बाते कहीं.
संसदीय समिति की सिफारिशें ऐसे समय में आई हैं, जब भारत में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक वर्ग ने छात्रों के टीकाकरण नहीं होने के बावजूद सभी स्कूलों को फिर से खोलने का समर्थन किया है. वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (Organised Medicine Academic Guild) की अध्यक्ष डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा, प्राइमरी और प्री-प्राइमरी स्कूलों को फिर से खोलने में कोई बुराई नहीं है. बच्चों में मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली (strong immunity system) है, जो उन्हें SARS-CoV-2 से लड़ने में मदद कर सकती है.
हाल ही में एक बैठक में, टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के सदस्यों ने बताया है कि टीका निर्माण कंपनियां अभी भी बच्चों के लिए टीकों का वैज्ञानिक परीक्षण कर रही हैं. बता दें कि महामारी के कारण मार्च 2020 से स्कूल और अन्य शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के साथ-साथ संबंधित राज्य सरकार के परामर्श से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई है.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों कक्षाओं सहित सीखने के मिश्रित तरीके को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. साथ ही विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग समय पर कक्षाओं की पढ़ाई चरणबद्ध तरीके से शुरू हो सकती है. फिजिकल डिस्टेंसिंग, मास्क, हाथ धोने, क्लासरूम स्पेस और क्लासरूम के सैनिटाइजेशन पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए.