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भारत ने अफगानिस्तान पर यूएनएससी की बैठक में बोलने नहीं दिया : पाकिस्तान - शाह महमूद कुरैशी

पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान संकट पर यूएनएससी की बैठक में भारत ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया और इस आपात बैठक में उसे बोलने की अनुमति नहीं दी गई. यूएनएससी की अगस्त महीने में अध्यक्षता भारत कर रहा है. सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा करने के लिए 10 दिन में दूसरी बार बैठक बुलाई.

पाकिस्तान
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Published : Aug 17, 2021, 12:19 AM IST

Updated : Aug 17, 2021, 7:00 AM IST

इस्लामाबाद :पाकिस्तान ने सोमवार को भारत पर राजनीतिक उद्देश्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर इस्लामाबाद को एक बार फिर यूएन सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आपात बैठक में बोलने की अनुमति नहीं दी गई.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सोमवार को बैठक के बाद इस बारे में सिलसिलेवार ट्वीट किए. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज अफगानिस्तान को लेकर हुई यूएनएससी की बैठक में एक बार फिर पाकिस्तान को बोलने का अवसर नहीं दिया गया.

उन्होंने ट्वीट किया, अफगानिस्तान की नियति को लेकर इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया और व्यवधान डाला. इस बहुपक्षीय मंच का बार-बार राजनीतिकरण करना, अफगानिस्तान और क्षेत्र के लिए उसकी नीयत को दर्शाता है.

पाकिस्तान के समर्थन में आया चीन
चीन ने अपने सहयोगी देश पाकिस्तान का समर्थन करते हुए कहा कि भारत की अध्यक्षता में अफगानिस्तान पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में अफगानिस्तान के पड़ोसी देश को बोलने की अनुमति नहीं दिया जाना 'अफसोसजनक' है.

पाकिस्तान का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप राजदूत गेंग शुआंग ने कहा, परिषद के कुछ सदस्यों ने अपने बयान में कहा कि वे यह देखना चाहते हैं कि अफगानिस्तान के पड़ोसी इस मामले में बड़ी भूमिका निभाएं. हमें पता चला कि कुछ क्षेत्रीय देशों और अफगानिस्तान के पड़ोसियों ने आज की बैठक में भाग लेने का अनुरोध किया था. यह अफसोसजनक है कि उनके अनुरोधों को स्वीकार नहीं किया गया.

भारत ने अफगानिस्तान संकट पर सोमवार को हुई यूएनएससी बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में भारतीय राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति उसके लिए चिंता का गंभीर विषय है और उम्मीद जताई कि इस पड़ोसी मुल्क में जल्द स्थिरता लौटेगी तथा ऐसी सरकार बनेगी, जिसमें सभी तबकों का प्रतिनिधित्व होगा.

उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर, सुरक्षा परिषद के लिए कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने का वक्त है कि हिंसा को तत्काल रोका जाए तथा किसी भी संभावित संकट को काबू किया जाए और उसके नतीजे को कम किया जाए.

भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि अफगानों को इस बात की चिंता है कि क्या गरिमापूर्ण जीवन के उनके अधिकार का सम्मान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कई सवाल ऐसे हैं जिनका कोई जवाब नहीं हैं. हम उम्मीद करते हैं कि स्थिति जल्द स्थिर होगी और संबंधित पक्ष मानवीय एवं सुरक्षा चिंताओं का निदान करेंगे.

यह भी पढ़ें-आतंकवादी समूहों द्वारा न हो अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल : टीएस तिरुमूर्ति

तिरुमूर्ति ने कहा, हम यह भी उम्मीद करते हैं कि एक समावेशी व्यवस्था होगी जिसमें अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होगा. अफगान महिलाओं की आवाज, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए. एक व्यापक प्रतिनिधित्व व्यवस्था से अधिक स्वीकार्यता और वैधता मिलने में मदद होगी.

पाकिस्तान का संदर्भ देते हुए तिरुमूर्ति ने कहा, अगर आतंकवाद के सभी रूपों को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाई जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी समूहों द्वारा किसी अन्य देश को धमकी देने या हमला करने के लिए नहीं किया जाएगा, तो अफगानिस्तान के पड़ोसी और क्षेत्र सुरक्षित महसूस करेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 17, 2021, 7:00 AM IST

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