मुंबई :वर्धा जिले की एक सड़क के संबंध में निर्माण कंपनी को 5 करोड़ 71 लाख रुपये देने का आदेश मध्यस्थ ने दिया था. राज्य सरकार ने इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी, जिस कारण हुई देरी से सरकार को इस मूल राशि पर करीब 300 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना पड़ा (MH Govt paid 300 crores interest for 5 crores). सरकार ने इस मामले में संबंधित विभाग के अधिकारियों के खिलाफ जांच कराने का फैसला किया है.
अक्टूबर 1997 में खरे एंड तारकुंडे इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को वर्धा जिले से चंद्रपुर जिले के वरोरा तक निर्माण, उपयोग और हस्तांतरण के आधार पर चेन ब्रिज बनाने का काम दिया गया था. ठेकेदार ने अक्टूबर 1998 में 226 करोड़ रुपए की लागत से यह काम पूरा किया. परियोजना की अवधि पूरी होने के बाद यहां टोल वसूली बंद कर दी गई और सड़क व पुल को लोक विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया.
हालांकि, बिल का भुगतान न करने के कारण ठेकेदार ने मध्यस्थता की मांग की. जानकारी के अनुसार इस पर सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता आर. एच तड़वी को एकमात्र मध्यस्थ नियुक्त किया गया था. इस मामले में मध्यस्थ ने 4 मार्च 2004 को ठेकेदार को 5 करोड़ 71 लाख रुपये 25 प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश दिया.