बहराइच में हजारों लोग अनोखी शादी का गवाह बने. बहराइच :डीजे की धुन पर नाचते-गाते बाराती. मंगलगीत गातीं महिलाएं, सभी रस्मो रिवाज भी वैसे ही जैसे आम शादियों में निभाए जाते हैं, लेकिन फिर भी यह विवाह सबसे अलग था. क्योंकि यहां वर-वधु बछड़ा और बछिया थे. बछड़े के साथ सैकड़ों बाराती भी आए थे. द्वाराचार के समय दूल्हे यानी बछड़े की आगवानी की गई. दूसरी तरफ वर और वधु पक्ष के हजारों लोग नाचते-झूमते रहे. इस शादी को कराने वालों का कहना है कि ऐसा वे गोवंश के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कर रहे हैं.
एक साल पहले ही तय हो गया था बछिया और बछड़े का रिश्ता
श्रावस्ती के इकौना विकास खंड के रामपुर कटेल गांव निवासी भभूति प्रसाद ने अपने बछड़े नंदी का विवाह एक साल पहले बहराइच के के निहनिया कुट्टी की बछिया नंदिनी से तय की थी. शादी से पहले विवाह का शुभ मुहूर्त निकाला गया. विवाह की तिथि 26 दिसंबर तय की गई. इसके बाद बछड़े का बरीक्षा भी हुआ. फिर पंचांग देखकर तिलक की रस्म पूरी की गई. जब विवाह की तिथि करीब आई तो निमंत्रण पत्र छपवाए गए. गांव के साथ ही आसपास के इलाकों में भी निमंत्रण पत्र भेजे गए.
धूमधाम से निकली बारात, डीजे पर जमकर थिरके बाराती
विवाह की तिथि यानी 26 दिसंबर को बारात श्रावस्ती से बहराइच के लिए निकली. बाराती भी सैकड़ों में थे. कई लोग तो उत्सुकतावश ही इसमें शामिल हो गए. दूल्हे को ट्रैक्टर ट्राली पर बिठाया गया और फिर डीजे की धुन पर नाचते-गाते बाराती दुल्हन यानी बछिया के घर की ओर चले. मंगलवार रात बारात पहुंची. यहां भी बारात के स्वागत के लिए लोगों का हुजूम लगा था. रस्मो रिवाज के मुताबिक ही बारात की आगवानी की गई. दूल्हे को सेहरा पहनाया गया.
बछिया-बछड़े ने लगाए फेरे
बारात की आगवानी के बाद शादी की रस्में शुरू हुईं. बछिया-बछड़े के फेरे लगवाए गए. मंत्रोच्चार के बीच बछिया-बछड़े का विवाह संपन्न हुआ. इधर इससे पहले इस शादी में शामिल होने वालों की संख्या हजारों में पहुंच गई. जिसने सुना, वही इस अनोखी शादी का हिस्सा बनने चला आया. एक तरफ जब शादी की रस्में निभाई जा रही थीं तो दूसरी तरफ लोग इसका जश्न मना रहे थे. बछिया और बछड़े पक्ष ने तय किया है कि फिलहाल विदाई नहीं की जाएगी. विदाई की तिथि 28 दिसंबर रखी गई है. हालांकि अभी बछिया की विदाई नहीं होगी. बछड़े के संरक्षक भभूति प्रसाद कहते हैं कि ये विवाह समाज में एक अच्छा संदेश देगा. इससे लोग गौवंश के संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे.
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