देहरादून (उत्तराखंड): देवभूमि उत्तराखंड के नरेंद्र नगर में शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक लेने पहुंचे. इस बैठक के लिए केंद्रीय गृहमंत्री के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेंद्र बघेल के प्रतिनिधि के साथ ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बैठक में ऑनलाइन जुड़े हुए हैं. मध्य क्षेत्रीय परिषद में यह चार राज्य शामिल हैं. इस बैठक में आखिरकार क्या कुछ होने वाला है? यह मध्य क्षेत्र परिषद आखिरकार होती क्या है? यह कैसे काम करती है? चलिए आपको बताते हैं.
भारत में ये है क्षेत्रीय परिषद:आजादी के बाद 1956 में क्षेत्रीय परिषदों का गठन हुआ. पूरे देश में पांच क्षेत्रीय परिषद हैं. जिसमें उत्तरी क्षेत्रीय परिषद में हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, राजस्थान और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के साथ-साथ चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं. मध्य क्षेत्रीय परिषद में में चार राज्य शामिल हैं. जिस मध्य क्षेत्रीय परिषद की उत्तराखंड के नरेंद्र नगर में बैठक हो रही है उसमें छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं. इसके बाद पूर्वी क्षेत्रीय परिषद में बिहार, ओडिसा, पश्चिम बंगाल और झारखंड शामिल हैं. पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद में महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा दमन दीव, दादरा और नगर हवेली शामिल हैं. दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना के साथ-साथ पांडिचेरी शामिल हैं.
राज्यों के साथ केंद्र की समन्वय बैठक का मुख्य उद्देश्य: 1956 में जब इन क्षेत्रीय परिषदों का गठन हुआ तब यह निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर राज्य के हितों के लिए विचार विमर्श करेगी. लिहाजा हर बैठक में क्षेत्रीय परिषद एक सलाहकार की भूमिका निभाती है. जिसकी अध्यक्षता गृहमंत्री करते हैं. क्षेत्रीय परिषद की बैठक में सामाजिक विकास, परिवहन सीमा विवाद, अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दे, राज्य पुनर्गठन के बारे में विचार विमर्श, कानून व्यवस्था, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर बातचीत होती है. ऐसे में अगर किन्हीं राज्यों को कोई सलाह देनी होती है या किसी भी तरह की जरूरत होती है तो क्षेत्रीय परिषद इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.