शिवमोगा : कर्नाटक सरकार राज्य में ठेका दिए जाने में कदाचार को रोकने के लिए 50 करोड़ रुपये से अधिक की सभी सार्वजनिक परियोजनाओं को लेकर निविदा प्रस्तावों की मंजूरी के संबंध में एक आयोग का गठन करेगी. इस आयोग की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे और इसमें दो विशेषज्ञ सदस्य के तौर पर होंगे.
सरकार ने मंत्रियों या अधिकारियों के मौखिक निर्देश के आधार पर काम शुरू करने के संबंध में पूर्ण रूप से रोक लगाने का भी आदेश दिया है. ठेकेदार संतोष पाटिल की 11 अप्रैल को उडुपी के एक होटल में आत्महत्या के बाद ये कदम उठाए गए हैं. पाटिल ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री के. एस. ईश्वरप्पा के मौखिक निर्देश पर पिछले साल बेलगावी जिले के हिंडालगा गांव में किए गए सार्वजनिक कार्य पर उनके द्वारा 40 प्रतिशत कमीशन की मांग की जा रही थी.
शिवमोगा के विधायक ईश्वरप्पा ने आरोपों को खारिज किया था. बढ़ते दबाव के कारण 14 अप्रैल को उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, 'हमारी सरकार ने एक निर्णय लिया है. अनुमान लागत तैयार करने के समय से ही लोक निर्माण कार्य शुरू हो जाते हैं. निविदा शर्तों को केवल एक वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार किया जाता है. मैंने एक उच्चस्तरीय आयोग के गठन का आदेश दिया है, जिसके अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे और एक वित्तीय विशेषज्ञ तथा एक तकनीकी विशेषज्ञ इसके सदस्य होंगे.'