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Judiciary vs Government: नहीं थम रहा विवाद, कानून मंत्री ने पूर्व जज के बयान को सामने रखकर फिर किया 'प्रहार' - कानून मंत्री

उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है. इसी बीच न्यायपालिका और सरकार के बीच विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया लिया है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों का हवाला दिया है.

Union Law Minister Kiren Rijiju
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू

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Published : Jan 22, 2023, 3:21 PM IST

Updated : Jan 22, 2023, 3:45 PM IST

नई दिल्ली: न्यायाधीशों की नियुक्ति और संविधान के किन हिस्सों को संसद द्वारा बदला जा सकता है, इसे लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच विवाद ने रविवार को एक तीखा मोड़ ले लिया, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों का हवाला देते हुए रेखांकित किया कि वह किस विचार को समझदार मानते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज आरएस सोढ़ी ने एक यूट्यूब चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार संविधान को हाईजैक किया है.' उन्होंने कहा कि 'हम खुद [न्यायाधीशों] की नियुक्ति करेंगे. इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी.'

यह समझाते हुए कि उन्हें क्यों लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के एक पैनल की प्रणाली, जिसे कॉलेजियम कहा जाता है, उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालयों के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति काम नहीं करती है. उन्होंने कहा, 'उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के अधीन नहीं हैं, [लेकिन] उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय को देखना शुरू करते हैं और अधीन हो जाते हैं.' श्री रिजिजू ने अपने ट्विटर हैंडल पर साक्षात्कार की क्लिप पोस्ट करते हुए लिखा, 'एक जज की आवाज... भारतीय लोकतंत्र की असली खूबसूरती इसकी सफलता है. जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से स्वयं शासन करती है.'

उन्होंने आगे लिखा, 'निर्वाचित प्रतिनिधि लोगों के हितों और कानूनों का प्रतिनिधित्व करते हैं. हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है, और हमारा संविधान सर्वोच्च है. दरअसल, अधिकांश लोगों के समान विचार हैं. यह केवल वे लोग हैं, जो संविधान के प्रावधानों और लोगों के जनादेश की अवहेलना करते हैं और सोचते हैं कि वे भारत के संविधान से ऊपर हैं.' न्यायपालिका और सरकार के बीच लंबे समय से चली आ रही असहमति में यह बयान नवीनतम है, जो हाल के महीनों में तेज हो गया है. रिजिजू द्वारा उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों से, न्यायाधीशों की नियुक्ति पर अंतिम शब्द प्राप्त करने वाले न्यायाधीशों की प्रणाली को बदलने के लिए न्यायपालिका पर दबाव बढ़ गया है.

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सरकार ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में एक बड़ी भूमिका की मांग की है, इसकी वीटो शक्ति की कमी पर सवाल उठाया है, और 1973 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान के कुछ सिद्धांतों को इसकी बुनियादी संरचना के रूप में घेरने की आलोचना की, जो संसद द्वारा परिवर्तन के लिए खुला नहीं है. इस हफ्ते, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नियुक्तियों को लेकर सरकार के कड़े विरोध के बाद जजों की पदोन्नति पर केंद्र के साथ अपने संचार को सार्वजनिक करने का अभूतपूर्व कदम उठाया, जिसमें एक वकील भी शामिल है, जो भारत का पहला खुले तौर पर समलैंगिक न्यायाधीश बन सकता है.

Last Updated : Jan 22, 2023, 3:45 PM IST

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