अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस : ट्रांसपेरेंसी का दावा, भारत में भ्रष्टाचार बढ़ा
पूरी दुनिया के लिए भ्रष्टाचार एक नकारात्मक पहलू है. यह विकास को बाधित करता है, संघर्ष व अस्थिरता को बढ़ावा देता है. यही नहीं देश-दुनिया में कानून के शासन को कमजोर करके, गरीबी को और भी बदतर बनाकर नई चुनौतियों को जन्म देता है. पढ़ें पूरी खबर..Transparency International, Corruption In India, Corruption Perception Index, Crime In India 2022, International Anti Corruption Day 2023.
हैदराबाद : भ्रष्टाचार आज के समय में पूरी दुनिया में जटिल बीमारी है. स्वस्थ लोकतंत्र और सुशासन के लिए यह सबसे बड़ा खतरा है. ज्यादातर देशों में शासन-प्रशासन को संभालने वाले शासक व प्रशासक इस पर बातें करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के मसले पर दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी है. सीधे तौर पर इसका असर किसी भी राष्ट्र के विकास पर पड़ता है. भ्रष्टाचार से होने वाली समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करने और इसके खात्म के लिए ठोस पहल करने के लिए राष्ट्रों को प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस
अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस का इतिहास संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से 31 अक्टूबर 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ कन्वेंशन को अपनाया. इस दौरान महासचिव से अनुरोध किया गया कि ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nation Office on Drugs And Crime-UNODC) को कन्वेंशन को सम्मेलन के सचिवालय के रूप में नामित किया जाय. इसके बाद से विश्व के 190 से ज्यादा देशों ने भ्रष्टाचार विरोधी दायित्वों (Anti Corruption Responsibilities) पर अपनी प्रतिबद्धता जता चुके हैं. यह सुशासन व जवाबदेही के प्रति प्रशासनिक और राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इसके बाद महासभा ने भ्रष्टाचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने, भ्रष्टाचार को रोकने और भविष्य में इससे निपटने के लिए कन्वेंशन की सिफारिश को ध्यान में रखकर 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस नामित कर दिया. साल 2005 से हर साल अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
गरीबी, भूखमरी, स्वास्थ सुविधाएं की कमी, बेहतर शिक्षा का अभाव, स्वच्छता का अभाव, शुद्ध पेयजल की कमी, सस्ते कीमत पर स्वच्छ उर्जा, रोजगार के अवसर, आर्थिक वृद्धि दर, उद्योग, शोध, आधारभूत संरचना, जल वायु परिवर्तन की समस्याएं गंभीर बनी हुई है. भारत में इससे निपटने में सरकार को उस अनुपात में सफलता नहीं मिल पा रही है, जिस अनुपात में धन खर्च हो रहा है. कई दशकों से कई नीतियां और आर्थिक प्रावधान का असर जमीन पर नहीं पड़ता दिख रहा है.
2022 में 4993 भ्रष्ट कर्मचारी भेजे गये जेल
भारत में भ्रष्टाचार काफी नीचे तक फैला हुआ है. आज के समय में कौन विभाग भ्रष्ट है या नहीं है यह कहना बड़ी मुश्किल है. 1 दिसंबर 2023 को जारी क्राइम इन इंडिया 2022 के अनुसार देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्ज होने वाले मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 2022 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत विभिन्न राज्यों के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से कुल 4139 मामले दर्ज किए गए हैं. 2021 में भ्रष्टाचार के 3745 मामलों की तुलना में 2023 में 4139 मामलों दर्ज किये गये. दर्ज मामलों के आधार पर कहा जा सकता है कि भ्रष्टाचार के मामलों में 10.5 फीसदी की वृद्धि हुई है. 2022 में भ्रष्टाचार से जुड़े दर्ज मामलों में 2883 ट्रेप केस (69.7 फीसदी), इसके बाद 547 क्रिमिनल मिसकंडक्ट (13.2 फीसदी) केस पाया गया. भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में 4993 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें 852 लोगों को अपराधी ठहराया गया. वहीं भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों दोषी पाये गये 445 कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा चुकी है.
भ्रष्टाचार की रैंकिंग में बढ़ोतरी
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से भ्रष्टाचार के मामले में हर साल भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (Corruption Perception Index-CPI) जारी किया जाता है. इस सूची के अनुसार 2022 में भारत को 40 अंक मिला था. यह सर्वे 180 देशों के बीच हुआ था, जिसमें भारत का स्थान 85वां था. पीएम नरेंद्र मोदी 2014 में सत्ता में आये थे. उस समय भारत का भ्रष्टाचार में CPI रैंकिंग 38वां था. इन आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि पीएम मोदी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के रैंकिंग (CPI) में 2 अंकों की बढ़ोतरी हुई है.
बता दें कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल Corruption Perception Index तैयार करने के लिए कोई भी डेटा स्वयं जेनरेट नहीं करता है. अर्थात कोई भी सर्वे वह स्वयं नहीं करता है. दुनिया की जानी मानी संस्थाओं के डेटा के आधार पर विश्लेषण कर सीपीआई जारी किया जाता है. इन संस्थों में विश्व बैंक, विश्व इकोनामिक फोरस, वैश्विक स्तर की निजी रिस्क वंसल्टेंसी फर्म, ग्लोबल थिंक टैंक सहित अन्य एजेंसियों के डेटा का इस्तेमाल किया जाता है.