नई दिल्ली :संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट के अनुसार आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) के तहत संकेतकों को नये सिरे से तय करने की जरुरत है. साथ ही प्रतिस्पर्धात्मक सोच पर भी ध्यान कम करने की जरुरत है ताकि जिलों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. यूएनडीपी की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में यह सुझाव दिए गए हैं.
ये सुझाव आकांक्षी जिला कार्यक्रम की शुक्रवार को जारी आकलन रिपार्ट का हिस्सा हैं.
बता दें, सरकार ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम जनवरी 2018 में शुरू किया. इस कार्यक्रम का मकसद विकास के अहम मानदंडों में पिछड़े 28 राज्यों के 112 आकांक्षी जिलों में सुधार लाना है.
यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कई हितधारकों के साथ चर्चा में कार्यक्रम के लिये तय संकेतकों में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. साथ ही प्रतिस्पर्धी दृष्टिकोण को लेकर कम ध्यान देने की जरूरत सामने आई है. क्योंकि इससे जिलों द्वारा गलत जानकारी देने की संभावना है.
इसके अलावा और प्रशिक्षण और सीखने के कार्यक्रमों की भी आवश्यकता है. यूएनडीपी ने कहा कि एडीपी का एक नुकसान यह है कि जिलों के बीच असमानताएं हैं. जो निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और तुलना को नहीं दर्शाता है. इन मसलों का हल करने के लिए जिलों को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर एक साथ समूहीकृत किया जा सकता है और तदनुसार समर्थित किया जा सकता है.
रिपोर्ट में पाया कि जिलों में जिला और ब्लॉक स्तर पर मानव संसाधन और तकनीकी क्षमताओं की कमी रही है. इसमें कहा गया है कि जिलों को प्रभारी अधिकारी और नीति आयोग से समर्थन मिला है फिर भी जमीनी सतर पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता है. इसके लिये एक आकांक्षी जिला सहकर्मी अथवा कार्यक्रम के प्रतिनिधि को जिले में तैनात किया जा सकता है.