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निर्दलीय विधायकों ने अशोक गहलोत के प्रति जताई आस्था, कहा- 'गहलोत ही कांग्रेस'

जयपुर में बैठक के बाद निर्दलीय विधायकों ने अशोक गहलोत के प्रति आस्था जताई है. हालांकि, मंत्री पद को लेकर निर्दलीय विधायकों ने यह भी कहा है कि वे कोई साधु सन्यासी नहीं हैं. संयम लोढ़ा ने यहां तक कह दिया कि पायलट ने पहली बार हार देखी है, उन्हें सीखते-सीखते समय लगेगा.

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Published : Jun 24, 2021, 9:43 AM IST

निर्दलीय विधायकों ने अशोक गहलोत के प्रति जताई आस्था
निर्दलीय विधायकों ने अशोक गहलोत के प्रति जताई आस्था

जयपुर : राजस्थान की राजनीति (Rajasthan politics) में 13 निर्दलीय विधायकों (independent legislators) की बैठक का बीते एक सप्ताह से इंतजार हो रहा था. आखिरकार तमाम नाटकीय घटनाक्रम के बीच जयपुर के सर्किट हाउस में यह बैठक हुई. पहले यह बैठक होटल अशोक में होनी थी, लेकिन उस बैठक में बसपा से कांग्रेस में आए विधायक राजेंद्र गुढ़ा के पहुंच जाने से बैठक में भाग लेने आए 8 निर्दलीय विधायक नाराज हो गए, 5 विधायक तो होटल में जाकर वापस निकल गए.

'गहलोत के प्रति आस्था'

इसके बाद इस बैठक का नेतृत्व कर रहे संयम लोढ़ा खुद सर्किट हाउस पहुंचे और वहीं पर निर्दलीय विधायकों ने अपनी बैठक की. बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए संयम लोढ़ा ने कहा कि सभी निर्दलीय विधायकों ने अशोक गहलोत में अपनी आस्था प्रकट की है.

निर्दलीय विधायकों ने अशोक गहलोत के प्रति जताई आस्था

'पायलट को सीखते-सीखते समय लगेगा की हार क्या होती है'

सचिन पायलट को लेकर संयम लोढ़ा ने कहा कि सचिन पायलट भाग्यशाली हैं. वे राजेश पायलट जैसे नेता के घर में पैदा हुए. कम उम्र में सांसद बन गए. फिर सांसद बने और मंत्री बन गए. लोकसभा चुनाव हारे तो भी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने. उप मुख्यमंत्री भी बन गए. उन्होंने जीवन में कभी असफलता और हार नहीं देखी थी लेकिन मुख्यमंत्री के सवाल पर उन्होंने पहली बार हार का सामना किया. यह उनके साथ दूसरी बार हुआ है. अब उन्हें सीखते-सीखते समय लगेगा की हार क्या होती है.

मंत्री बनना है इसलिए सारी कवायद चल रही: राजेंद्र गुढ़ा

इधर, निर्दलीय विधायकों की बैठक दूसरी जगह हुई तो राजेंद्र गुढ़ा को भी होटल छोड़कर जाना पड़ा. इस दौरान राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि कुछ निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनना है इसलिए यह सारी कवायद चल रही है. उन्होंने संयम लोढ़ा का भी इसमें नाम लिया.

'कोई विधायक हम पर सवाल नहीं उठा सकता'

निर्दलीय विधायक ने कहा कि हम अशोक गहलोत के साथ हैं. अशोक गहलोत कांग्रेस के मुख्यमंत्री हैं तो हम कांग्रेस के साथ हैं. हमें राहुल गांधी ने एसोसिएट मेंबर बनाया है. कोई विधायक हमारे ऊपर सवाल नहीं उठा सकता है.

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'गहलोत ही कांग्रेस'

निर्दलीय विधायक लगातार यह कहते हुए नजर आते हैं कि वह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हैं और गहलोत ही कांग्रेस है. निर्दलीय विधायकों ने एक स्वर में कहा कि वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हैं और क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के मुख्यमंत्री हैं तो सभी निर्दलीय विधायक खुद ब खुद ही कांग्रेस के साथ हैं.

'सवाल उठाने वाले विधायक राहुल गांधी से ऊपर नहीं'

बार-बार खुद पर उठ रहे कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ने के सवालों के जवाब में निर्दलीय विधायकों ने कहा कि जिस दिन हम चुनाव जीते, कांग्रेस कमेटी ने हमसे संपर्क किया और हम अगले दिन ही कांग्रेस के साथ हो गए. जब लोकसभा के चुनाव थे तो राहुल गांधी की मौजूदगी में हमें कांग्रेस का मेंबर बनाया गया. इसके बाद ही राजस्थान में राजनीतिक संकट आया तो हमने कांग्रेस का साथ दिया और विधानसभा के अंदर और बाहर कांग्रेस को ताकत प्रदान की, लेकिन हम से कोई यह सवाल नहीं पूछ सकता. क्योंकि सवाल उठाने वाले विधायक राहुल गांधी से ऊपर नहीं हैं.

'मुख्यमंत्री चाहे जब करें मंत्रिमंडल विस्तार, लेकिन हम नहीं हैं साधु सन्यासी'

बैठक के बाद निर्दलीय विधायक यह तो कहते हुए नजर आए कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिसे चाहे उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करें. मंत्रिमंडल का गठन कब करना है, यह मुख्यमंत्री का विशेष अधिकार है. लेकिन निर्दलीय विधायक मंत्री पद को लेकर क्या सोचते हैं, इसका जवाब संयम लोढ़ा ने एक लाइन में दिया कि हम लोग कोई साधु सन्यासी नहीं हैं. मतलब साफ है कि निर्दलीय विधायकों से जो वादे सरकार बचाने के एवज में किए गए थे, उसमें उन्हें भी मंत्री पद मिले.

निर्दलीय विधायकों ने बैठक में यह प्रस्ताव पास किए

  • राजस्थान में पटवारी और ग्राम सेवकों के रिक्त पद तुरंत भरने का सरकार से आग्रह किया.
  • संविदाकर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने की मांग की गई.
  • डीजल-पेट्रोल और गैस के बढ़े दामों और बढ़ती महंगाई से आम आदमी को राहत दिलाने के लिए गैर भाजपा दलों के एकजुट होकर केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का आह्वान किया.

सभी निर्दलीय विधायकों ने बैठक के जरिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में पूर्ण आस्था प्रकट करते हुए मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कब होगा और इसमें कौन शामिल हो, यह मुख्यमंत्री के ऊपर छोड़ दिया.

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