दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

स्नान का पावन पर्व : जानें क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा और क्या है महत्व

हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है. इस साल 20 जून, 2021, रविवार को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन विधि- विधान से मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है.

ganga-dussehra
ganga-dussehra

By

Published : Jun 20, 2021, 12:05 AM IST

Updated : Jun 20, 2021, 7:09 AM IST

हैदराबाद :गंगा दशहरा पर्व रविवार 20 जून को मनाया जा रहा है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वर्ग से पृथ्वी पर आज के ही दिन गंगा जी का आगमन हुआ था. मां गंगा भारतीय जनमानस की प्राण धारा है. शास्त्रों में उल्लेख है, "गंगा तौ दर्शनात् मुक्तिः" अर्थात गंगा के दर्शन स्मरण से पापों का शमन एवं मृत्यु उपरान्त मोक्ष की प्राप्त होती है. हृषिकेश पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 20 जून 2021 को पड़ रही है. अतः देश में सर्वत्र 20 जून, 2021 को गंगा दशहरा पर्व मनेगा.


मुहूर्त- चिन्तामणि के आधार पर- गंगा जी के दर्शन अर्चन व स्नान आदि के मुहूर्त निम्नवत् हैं:-

  • प्रातः 04.03 बजे से 04.44 बजे तक (ब्रह्म मुहूर्त में)
  • प्रातः 11.55 बजे से 12.51 मध्यान्ह तक (अर्जित मुहूर्त में)
  • मध्यान्ह 02.42 बजे से 03.38 बजे अपराह्न तक (विजय मुहूर्त में)
  • सायं 07.08 बजे से 07.32 बजे तक (गोधूलि मुहूर्त में)
  • एवं 12.52 रात्रि से 02.21 बजे तक (अमृत काल मुहूर्त में)


देश के धर्मावलम्बी जनों द्वारा गंगा दशहरा पर्व को मनाया जायेगा.

आज के दिन मां गंगा का पृथ्वी पर हुआ था आगमन
भारतीय सनातन संस्कृति की जीवन धारा से जुड़ा हुआ महापर्व गंगा दशहरा रविवार 20 जून को संपूर्ण देश में धूमधाम से मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य राजेश महाराज निदेशक लोक मंगल अनुसंधान संस्थान, उत्तर प्रदेश के ज्योतिष शास्त्रीय गणना के अनुसार इस बार हस्त नक्षत्र ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को प्राप्त हो रहा है. हस्त नक्षत्र में आज के दिन मां गंगा का स्वर्ग से उतर कर पृथ्वी में आगमन हुआ था. गंगा अवतरण की दृष्टी से गंगा पर्व को गंगा दशहरा के रूप में लोक जीवन में जाना जाता है. भगीरथ की तपस्या और ब्रह्मा के वरदान के फलस्वरूप गंगा अवतरण हुआ. इस कारण इन्हें भागीरथी भी कह जाता है. भगवान विष्णु के चरणों से निकलने के कारण इन्हें विष्णुपदी भी कहा गया.

मान्यता है कि पृथ्वी पर आगमन हेतु भगवान शिव ने अपनी जटाओं में (हिमालय पर गंगा के आवेग को सहते हुए) स्थान दिया. हिमालय तथा पर्वतीय दुर्गम पहाड़ों से गुजरती हुई मां गंगा आज के ही दिन हरिद्वार के ब्रह्म कुंड में समाहित हुईं. गंगा दशहरा महापर्व तीर्थराज प्रयाग हरिद्वार और देश के कई धार्मिक अंचलो में धूम -धाम से मनाया जाता है.

ताप को नष्ट करता है तप
हमारे ज्योतिष अनुभव में आया चंद्रमा मन का प्रतीक है. विविध प्रकार के ताप है. कायिक, वाचिक और मानसिक ये तीन प्रकार के ताप है. ताप को तप ही नष्ट करता है. भागीरथ ने तप किया तो गंगा का अवतरण हुआ.आज का मनुष्य निरंतर कष्ट सहते हुए प्रकृति के संरक्षण हेतु यदि तत्पर रहकर कायिक, वाचिक और मानसिक तप को करता है तो निश्चित रुप से वह गंगा दशहरा मनाने का अधिकारी होगा. मां गंगा के लिए हमें जप मंत्र हमें पुराणों में प्राप्त होता है. (ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः)

आचार्य राजेश महाराज ने कहा कि हिन्दू धर्म ग्रंथ में गीता में भगवान श्री कृष्ण ने दशम अध्याय विभूति अध्याय में अपने को गंगा के समान बताया है. इससे गंगा का महत्व और भी बढ़ जाता है. साथ ही एक वाह्य गंगा दूसरी सूक्ष्म मानसिक गंगा है. इसलिए गीता के शुरुआत में कहा गया है, गीता गंगोद पुर्नजन्मम. गंगा नदी नहीं है वरन् गंगा जीवन धारा है. गंगा प्राण धारा सनातन संस्कृति में गंगा को पूज्य माना गया है.

गंगा के दर्शन से पापों से मुक्ति मिलती है. इस कारण कहा गया है- गंगा तव दर्शनात् मुक्ति. आज के वैज्ञानिक युग में भी गंगा जल कीटाणुओं से दूषित नहीं होता, यह वैज्ञानिकों के शोध का विषय बना हुआ है. कोविड-19 के समय में अपने घर से ही मां गंगा की पूजा कर पुण्य के सहभागी बन सकते हैं. आज के इस पावन दिन पर सामूहिक श्रमदान कर और भी मंगलकारी इस पर्व को बना सकते है.

पढ़ेंःसुदर्शन पटनायक ने दी 'प्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह को श्रद्धांजलि

Last Updated : Jun 20, 2021, 7:09 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details