हरियाणा स्थापना दिवस पर विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया. चंडीगढ़: हरियाणा अपने अस्तित्व की 58वीं वर्षगांठ मना रहा है. एक नवंबर 1966 को हरियाणा पंजाब से अलग होकर देश के 17वें राज्य के रूप में आया. हरियाणा के बारे में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है 'देसां में देस हरियाणा, जित दूध-दही का खाणा' यानी हरियाणा के लोगों को दूध दही खाना सबसे ज्यादा पसंद है. इस प्रदेश ने पिछले 57 सालों में कई विकास के कई आयाम छुए हैं. फिर चाहे बात खेल के मैदान की हो, उद्योगों के विकास की हो, कृषि की हो या फिर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर की, हरियाणा ने इन सभी क्षेत्रों में विकास की कई इबारतें लिखी हैं. हालांकि हरियाणा को एनसीआर से घिरे होने का लाभ भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मिला है.
सीएम और नेता प्रतिपक्ष ने हरियाणा स्थापना दिवस की दी बधाई: हरियाणा स्थापना दिवस पर प्रदेश के सीएम मनोहर लाल और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश वासियों को बधाई दी है. इसके अलावा कई अन्य नेताओं ने भी प्रदेश वासियों को हरियाणा दिवस की बधाई दी है.
खेल के मैदान में हरियाणा ने लिखी कई इबारतें: पिछले 57 सालों में हरियाणा में खेल के मैदान में अभूतपूर्व काम किया है. यहां के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में देश का झंडा हमेशा बुलंद किया है. भले ही एक दौर में पंजाब खेल के मैदान में अव्वल रहता था, लेकिन पिछले कई सालों से हरियाणा ने पंजाब को इस मामले में पिछड़ दिया है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हरियाणा ने इस बार एशियन गेम्स में कुल 107 पदक में से 33 पदक जीते. वहीं, 2018 में 70 पदकों में से 18 हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते. 2014 में भारत ने 57 पदक जीते थे, कुल पदकों में से हरियाणा के खिलाड़ियों ने 23 पदक जीते थे.
ओलंपिक में भी हरियाणा का शानदार प्रदर्शन:वहीं, ओलंपिक में हरियाणा का प्रदर्शनशानदार रहा है. 2008 ओलंपिक में बॉक्सर वीजेंद्र सिंह ने कांस्य पदक जीता था, जबकि 2012 में कुश्ती में योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक और साइना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता था. वहीं, बात अगर 2016 ओलंपिक की करें तो देश को 2 ही पदक मिले थे जिनमें से साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता था. 2020 ओलंपिक में नीरज चोपड़ा सबसे पहले गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब हुए थे, जबकि रवि दहिया और बजरंग पूनिया ने भी एक-एक पदक देश को दिलाया था.
खेल का सिरमौर बनकर उभर रहा हरियाणा: हरियाणा के खेलों के मैदान में प्रदर्शन को लेकर वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि हरियाणा को हमेशा पंजाब का छोटा भाई कहा जाता है, लेकिन खेल के मैदान में हरियाणा ने पंजाब को पछाड़ दिया है. वहीं, खेल के क्षेत्र में हरियाणा की भूमिकाको लेकर वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि खेलों को लेकर जब भी पहले नाम लिया जाता था तो पंजाब सबसे पहले आता था, लेकिन आज हरियाणा का नाम इस मामले में पहले आता है. हरियाणा खेलों में पदकों को लेकर देश में खान के तौर पर जाना जाता है. अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हरियाणा के खिलाड़ी20 से 30% पदक जीतकर आ रहे हैं. यह सबसे बड़ी सक्सेस स्टोरी है. उन्होंने कहा कि हरियाणा ने अपना इंफ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत किया है कि उसे कोई नहीं पछाड़ सकता.
खेल के क्षेत्र में हरियाणा देश में नंबर 1.
कृषि क्षेत्र में भी हरियाणा बना आदर्श: ऐसा नहीं है कि हरियाणा ने सिर्फ पंजाब से अलग होने के बाद खेल के मैदान में ही शानदार प्रदर्शन किया है. हरियाणा ने कृषि के क्षेत्र में भी विकास के कई आयाम स्थापित किए हैं. इस समय देश में हरियाणा एकमात्र ऐसा राज्य है जो 14 फसलों को एमएसपी पर खरीदता है. इतना ही नहीं बीते साल को छोड़ दें तो गन्ने पर भी हरियाणा सबसे ज्यादा प्रति क्विंटल दाम देता था. पंजाब की तर्ज पर ही हरियाणा कृषि क्षेत्र में आगे चलता गया और आज उससे भी आगे है.
कृषि के क्षेत्र में हरियाणा का अहम योगदान: कृषि क्षेत्र में हरियाणा के विकास को लेकर वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि कृषि के क्षेत्र में हम जिसे ग्रीन रिवॉल्यूशन कहते हैं उसमें हरियाणा सफल हुआ. पंजाब की तर्ज पर ही हरियाणा को अन्नदाता के तौर पर देखा जाता है. हरियाणा 14 फसलों को एमएसपी पर खरीदने वाला राज्य है. हरियाणा के कृषि क्षेत्र में विकास को लेकर वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि कृषि के क्षेत्र में हरियाणा ने कई आयाम स्थापित किए हैं. निश्चित तौर पर उसमें सरकार का भी अहम योगदान है. 14 फसलें एमएसपी पर खरीदी जा रही है वह देश में अपने आप में एक उदाहरण है. इंफ्रास्ट्रक्चर हो या अन्य सुविधाएं जो किसानों को मुहैया करवाई जा रही है, वह देश के अन्य राज्यों में नहीं मिल रही है.
कृषि के क्षेत्र में भी हरियाणा काफी आगे.
औद्योगीकरण में मिल रहा एनसीआर का लाभ: हरियाणा औद्योगीकरण के क्षेत्र में भी देश के अन्य राज्यों से कई मायनों में आगे है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मारुति कार जो देश के हर तबके के बजट की गाड़ी रही, उसका प्लांट हरियाणा के गुरुग्राम में स्थापित हुआ. इतना ही नहीं आज हरियाणा में गाड़ियों का निर्माण हो या ट्रैक्टर का इन सभी का उत्पादन देश में सबसे ज्यादा होता है. इसके साथ ही हरियाणा में कपड़ा और प्लाईवुड उद्योग भी अपनी अलग पहचान रखता है. हालांकि हरियाणा के औद्योगीकरण के विकास में उसके एनसीआर क्षेत्र से तीन ओर से सटे होने का भी लाभ मिला है.
उद्योग के क्षेत्र में कहां खाड़ा है हरियाणा?: जानकारों का कहना है कि हरियाणा ने उद्योग के क्षेत्र में बेमिसाल काम किया है. संजय गांधी ने कार का पहला कारखाना गुरुग्राम में लगाया था. यह देश के लिए उपलब्धि थी और वहीं से हरियाणा के विकास की दौड़ भी शुरू होती है. आज हरियाणा पूरी दुनिया को गाड़ियां निर्यात करने की स्थिति में पहुंच गया है. खरखोदा में जो मारुति का प्लांट लग रहा है, वहां से सिर्फ देश के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी गाड़ियां जाएंगी, क्योंकि अगला टारगेट प्रतिवर्ष 10 लाख कार उत्पादन का है.
हरियाणा के पानीपत का कपड़ा उद्योग दुनिया भर में मशहूर.
गुरुग्राम में गगनचुंबी इमारतों में विदेशी कंपनियां: गुरुग्राम में देश नहीं विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियों के कार्यालय हैं. हरियाणा को इस बात का भी फायदा मिलता है कि यह राजधानी दिल्ली को तीन तरफ से घेरता है. गुरुग्राम हो या फरीदाबाद हरियाणा ने इन क्षेत्रों में उद्योगों में बहुत विकास किया है. पंजाब अब हरियाणा से बहुत पीछे छूट गया है. प्लाईवुड उद्योग ने भी हरियाणा में बड़ा विकास किया है. यमुनानगर उसका हब बना हुआ है. पानीपत कपड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार हरियाणा की ग्रोथ स्टोरी अब रुकने वाली नहीं है, बल्कि कई गुना आगे बढ़ने वाली है. हरियाणा के औद्योगिक विकास को लेकर प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं इसमें कोई दो राय नहीं है कि आतंकवाद की वजह से पंजाब को नुकसान हुआ. हरियाणा को दिल्ली के साथ नजदीकी क्षेत्र का फायदा मिला, लेकिन हरियाणा ने इस क्षेत्र में शानदार काम किया है. आज गुरुग्राम को देश के सबसे एडवांस शहरों में से माना जाता है. वहां पर बड़े-बड़े उद्योग स्थापित हो चुके हैं. यह सब विकास हरियाणा बनने के बाद हुआ है.
इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बेहतरीन विस्तार: हरियाणा में अपने 57 साल के सफर में ढांचागत विकास में भी बहुत तेजी के साथ काम किया है. बात चाहे सड़क मार्गों की हो या फिर मेट्रो की या फिर अन्य ढांचागत विकास के पैमाने, हरियाणा ने इन सभी मोर्चों पर सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं. पंजाब से अलग होने के समय जो संकरी सड़कें थी आज वह भी हाईवे और नेशनल हाईवे के तौर पर जानी जाती हैं.
हरियाणा के चारों तरफ एक्सप्रेस वे का जाल: हरियाणा के इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले को लेकर बात करते हुए धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि आज हरियाणा के चारों तरफ एक्सप्रेस वे का जाल बिछा हुआ है. किसी जमाने में हरियाणा में सिंगल लेन और टू लेन सड़कें हुआ करती थीं, लेकिन आज एक्सप्रेस वे हरियाणा में है. दिल्ली से मुंबई के लिए जो एक्सप्रेस वे बन रहा है, वह भी हरियाणा से गुजर रहा है. ऐसे में निश्चित तौर पर इसका लाभ भी हरियाणा को मिलेगा. इसके साथ ही ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे का लाभ भी हरियाणा को मिलेगा. उसके आसपास नए शहर बसाने की चर्चा है, जाहिर सी बात है कि इससे विकास को नई गति मिलेगी.
हरियाणा का अब तक का सफर: प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि राज्य के तौर पर हरियाणा का सफर शानदार है. हरियाणा को हमेशा पंजाब का छोटा भाई कहा जाता है, लेकिन हरियाणा का बजट साइज पंजाब से बड़ा है. वे कहते हैं फिर बात चाहे शिक्षा की हो हरियाणा की लगभग हर जिले में विश्वविद्यालय है. इसके साथ ही कई बहुत बड़े संस्थान भी हरियाणा में स्थापित हुए हैं. वे कहते हैं कि हरियाणा में विकास की बहुत लंबी छलांग लगाई है.
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हरियाणा को कहां है काम करने की जरूरत?: वैसे तो हरियाणा ने विभिन्न क्षेत्रों में पिछले 57 सालों में विकास की कई इबारत लिखी है, लेकिन अभी भी हरियाणा को कई क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है. विशेषज्ञों की मानें तो हरियाणा को सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. वह कहते हैं कि हरियाणा में सेक्स रेशियो पर अभी भी काम करने की जरूरत है. भले ही हरियाणा में लड़कियां कुश्ती के मैदान में और अन्य गतिविधियों में प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं, लेकिन अभी भी इस दिशा में काम करने की जरूरत है. इसके साथ ही हरियाणा का शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से थोड़ा नीचे है, उस पर भी सरकार को अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
किन मुद्दों का अभी भी होना है समाधान?: हरियाणा को अभी भी कुछ ऐसे विवाद घेरे हुए है, जिनका समाधान दशकों से नहीं हो पाया है. उनमें सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद सबसे बड़ा का है जिसका निर्माण पिछले पांच दशकों से भी ज्यादा वक्त से नहीं हो पाया है. पंजाब और हरियाणा के बीच का यह विवाद दोनों राज्यों की सियासत का भी अहम मुद्दा है. राजनीतिक विश्लेषक गुरमीत सिंह के अनुसार पानी का मुद्दा हरियाणा का सबसे प्रमुख मुद्दा है, क्योंकि दक्षिणी हरियाणा में पानी की कमी की वजह से बहुत ज्यादा भूमि ऐसी है जिस पर कृषि करना मुश्किल हो रहा है. उसको देखते हुए इस मुद्दे का समाधान होना जरूरी है. इसके अलावा हरियाणा अलग हाई कोर्ट की बेंच की मांग भी करता रहा है, लेकिन वह इतना बड़ा मुद्दा नहीं है जितना की पानी का मुद्दा.
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