नई दिल्ली : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने करनाल में किसानों के धरने के दूसरे दिन बुधवार को सरकार से किसानों के गतरोध का खत्म करने और सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने की मांग की.
मीडिया को संबोधित करते हुए हुड्डा ने कहा, 'किसानों को एमएसपी गारंटी पर अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का पूरा अधिकार है. आप मंडियों में जाकर देख सकते हैं कि क्या स्थिति है, किसानों को खेती की इनपुट लागत भी नहीं मिलती है.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बयान उन्होंने मांग की कि सरकार को तुरंत किसानों के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए और कोई समाधान निकालना चाहिए.
बता दें कि एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई और मामले की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर किसान करनाल में प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल, एसडीएम का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्हें पुलिस कर्मचारियों को यह निर्देश देते हुए देखा गया था कि अगर किसान बैरिकेडिंग पार करते हैं तो उसके सिर फोड़ दिए जाएं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता हुड्डा ने भी मामले की न्यायिक जांच उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में कराए जाने मांग की.
करनाल में पुलिस लाठीचार्ज की घटना को लेकर किसान नेताओं और स्थानीय प्रशासन के बीच तीन दौर की बैठक पहले ही विफल हो चुकी है. किसान नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार एसडीएम को निलंबित करने के लिए तैयार नहीं है और इसलिए उन्होंने अपना विरोध जारी रखने का फैसला किया है.
गौरतलब है कि 28 अगस्त को हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया था उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए.
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तीसरी मांग ये है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार ने इन मांगों को मानने से साफ इनकार कर दिया था.