नई दिल्ली : वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) पर भारत सरकार ने कहा है कि रैंकिंग के लिए इस्तेमाल की गई पद्धति अवैज्ञानिक है. सरकार ने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) में भारत का रैंक घटा है. यह बयान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Women and Child Development Ministry) की ओर से जारी किया गया है.
रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि यह 'चौंकाने वाला' है कि वैश्विक भूख रिपोर्ट 2021 ने कुपोषित आबादी के अनुपात पर एफएओ (खाद्य एवं कृषि संगठन) के अनुमान के आधार पर भारत के रैंक को कम कर दिया है, जो 'जमीनी वास्तविकता और तथ्यों से रहित है और इसमें गंभीर कार्यप्रणाली का अभाव है.'
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'इस रिपोर्ट का प्रकाशन करने वाली एजेंसियों, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगरहिल्फ ने रिपोर्ट जारी करने से पहले तथ्यों की पुष्टि के लिए उपयुक्त पड़ताल नहीं की है.'
मंत्रालय ने दावा किया कि एफएओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली 'अवैज्ञानिक' है. उसने कहा, 'उन्होंने 'चार प्रश्न' के एक सर्वेक्षण के परिणामों पर अपना मूल्यांकन किया है, जो गैलप द्वारा टेलीफोन पर किया गया था. इसने कहा कि अल्पोषण के वैज्ञानिक मापन के लिए वजन और ऊंचाई की जरूरत होती है, जबकि यहां जिस कार्य प्रणाली का इस्तेमाल किया गया वह पूरी तरह से टेलीफोन पर लोगों से बातचीत के आधार पर किये गये आकलन पर आधारित है.
मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट 'कोविड -19 अवधि के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के बड़े पैमाने पर प्रयासों' की पूरी तरह से अनदेखी करती है, जिस पर सत्यापन करने योग्य डेटा उपलब्ध है. मंत्रालय ने कहा, 'सर्वेक्षण में एक भी ऐसा सवाल नहीं है कि क्या प्रतिवादी को सरकार या अन्य स्रोतों से कोई खाद्य मदद मिली है.'