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श्रृंगला ने श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के साथ सकारात्मक वार्ता की, विशेषज्ञ बोले-चीन पर लगेगी लगाम

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Published : Oct 4, 2021, 4:03 PM IST

Updated : Oct 4, 2021, 4:40 PM IST

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से मुलाकात की. इस मुलाकात को लेकर पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी ने ईटीवी भारत से कहा कि भारत विशेष रूप से कोलंबो बंदरगाह में चीनी उपस्थिति के बारे में चिंतित था, लेकिन अब अदानी समूह श्रीलंका में बंदरगाह क्षेत्र को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कोलंबो बंदरगाह के पश्चिमी हिस्से को विकसित करने और चलाने के लिए ले रहा है, जिससे भारत को चीन का मुकाबला करने में काफी सहायता मिलेगी

श्रृंगला ने श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के साथ सकारात्मक वार्ता
श्रृंगला ने श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के साथ सकारात्मक वार्ता

कोलंबो :विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से मुलाकात की और उनसे बहुआयामी द्विपक्षीय साझेदारी को और मजबूत करने पर 'सकारात्मक वार्ता' की. श्रृंगला चार दिन की यात्रा पर शनिवार को श्रीलंका पहुंचे. वह राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से भी मुलाकात कर सकते हैं और भारत तथा श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा कर सकते हैं।

यहां भारतीय उच्चायोग ने बैठक की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, 'विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने आज प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से मुलाकात की और भारत-श्रीलंका साझेदारी को और मजबूत करने पर सकारात्मक वार्ता की.'

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार श्रृंगला ने कहा, 'कुछ समय पहले ही मैंने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के साथ बहुत सकारात्मक वार्ता की. वह भारत के प्रगाढ़ मित्र हैं और भारत-श्रीलंका साझेदारी को गहन करने के लिए समर्थन का सतत स्रोत हैं.'

विदेश सचिव ने कहा कि वह राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से अपनी मुलाकात को लेकर उत्सुक हैं.

महिंदा राजपक्षे ने ट्वीट कर श्रृंगला से मुलाकात पर प्रसन्नता जताई. श्रीलंकाई प्रधानमंत्री ने कहा, 'श्रीलंका की सरकार दोनों देशों को परस्पर लाभ पहुंचाने के लिए हमारे पहले से मजबूत संबंधों को और सुदृढ़ करने के लिहाज से भारत सरकार के साथ काम करने को लेकर आशान्वित है.' श्रृंगला ने महात्मा गांधी की 152वीं जयंती के अवसर पर कोलंबो स्थित टेंपल ट्रीज में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

इस संबंध में पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी ने ईटीवी भारत से कहा कि भारत विशेष रूप से कोलंबो बंदरगाह में चीनी उपस्थिति के बारे में चिंतित था, लेकिन अब अदानी समूह श्रीलंका में बंदरगाह क्षेत्र को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कोलंबो बंदरगाह के पश्चिमी हिस्से को विकसित करने और चलाने के लिए ले रहा है. इस क्षेत्र में अब भारत बीजिंग का मुकाबला आसानी से कर सकता है.

गौरतलब है कि पिछले महीने, अदानी समूह ने रणनीतिक कोलंबो पोर्ट के वेस्ट इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने और चलाने के लिए राज्य द्वारा संचालित श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (SLPA) के साथ $ 700 मिलियन के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे.

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एक बयान के अनुसार अडानी समूह की यहां 51 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी और निर्माण, संचालन और हस्तांतरण (बीओटी) का समझौता 35 वर्षों के लिए वैध होगा. यह सौदा भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखता है क्योंकि यह चीन द्वारा संचालित जेटी के बगल में है. कोलंबो में बंदरगाह पर और इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती मुखरता का मुकाबला करने के रूप में देखा जाता है.

इसके अलावा विशेषज्ञ ने कहा कि विदेश सचिव का श्रीलंका जाना सामान्य है और विचारों के आदान-प्रदान के लिए यह एक नियमित यात्रा है.

पार्थसारथी ने कहा कि 1987-राजीव-जयवर्धने समझौते के श्रीलंकाई समझौते के तहत, मुझे लगता है, तमिलों को मोटे तौर पर वह मिला है जो वे चाहते हैं.

इस बीच भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, 'महात्मा गांधी की 152वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. श्रीलंका के विदेश मंत्री प्रोफेसर जी एल पेइरिस, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, भारत के उच्चायुक्त और अन्य गणमान्यों ने टैंपल ट्रीज में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.'

श्रृंगला ने रविवार को श्रीलंका के तमिल बहुल उत्तरी प्रांत में जाफना के पलानी हवाई अड्डे का निरीक्षण किया था जहां भारत की सहायता से किये जा रहे विकास कार्यों पर अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी.

Last Updated : Oct 4, 2021, 4:40 PM IST

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