नई दिल्ली : ईटीवी भारत से बात करते हुए लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर रखी है. लेकिन अग्निवीरों के लिए रक्षा मंत्रालय ने जिस रिजर्वेशन की घोषणा की है, वह यदि इस सीमा का उल्लंघन करता है, तो कोर्ट के दरवाजे खुले हुए हैं.
अचारी ने कहा, 'ऐसा लगता है कि सेवा से निकलने के बाद अग्निवीरों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण अग्निपथ योजना का मूल हिस्सा नहीं था. युवाओं ने जिस तरीके से हिंसक विरोध प्रदर्शन किया, उसे देखते हुए सरकार ने तत्काल में घोषणाएं कर दीं, ताकि उनका गुस्सा शांत हो सके. सरकार ने अपने हिसाब से कर तो दिया, अब इससे जनता तो शांत हो सकती है, लेकिन कोर्ट में यह मामला किस हद तक टिक पाएगा.'
उन्होंने कहा, 'इसकी वैधता को लेकर आप पक्ष और विपक्ष, दोनों तरीके से बहस कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर दी है. यह कानून का हिस्सा है. मुद्दा यह है कि क्या यह इसका उल्लंघन करने जा रहा है या सरकार इसके लिए नया कानून लेकर आएगी. और ऐसा होता है, तो फिर से यह कोर्ट का विषय हो जाएगा. क्योंकि विधायिका के पास यह अधिकार है कि वह 50 फीसदी की सीमा को बढ़ा दे, लेकिन मामले को चुनौती दो दी ही जा सकती है.'
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने कहा कि राज्य सरकारों ने अपने यहां अलग-अलग नौकरियों में अभी सेना के जवानों (रि.) के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर रखी है. उदाहरण स्वरूप- परिवहन विभाग को ही लीजिए. सेना की ड्राइवर की नौकरी से रिटायर होने के बाद वे राज्य परिवहन विभागों में काम करते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस बीच जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण विषय है, उस पर कोई बहस नहीं कर रहा है. वह है सेना की संख्या कितनी हो. अचारी ने कहा कि आप किस हद तक संख्या को बढ़ाते रहेंगे, जमाना टेक्नोलॉजी का है. दुनिया के दूसरे देशों की सेनाओं में भी मैनपावर की जगह तकनीक पर जोर दिया जा रहा है. आपको इस पर विचार करना ही होगा.
शॉर्ट टर्म बहाली के विरोध में हिंसक प्रदर्शन के बीच कुछ रक्षा जानकारों और नीति निर्धारकों ने सवाल उठाए हैं कि कहीं अग्निवीर गुप्त और महत्वपूर्ण फाइलों को लीक न कर दें. अचारी ने कहा कि यह मुद्दा चर्चा के केंद्र में है और आप इसे खारिज भी नहीं कर सकते हैं. लेकिन मुझे लगता है कि सेना में कई कानून और प्रोटोकॉल बने हुए हैं, जो ऐसा होने नहीं देंगे. उन्होंने आगे कहा, 'मेरा सबसे बड़ा कंसर्न भारतीय सैनिक की क्षमता और कुशलता है. कानून की वैधता अपनी जगह है. लेकिन सेना की कुशलता किस हद तक बनी रहेगी, क्या उसके हित सुरक्षित रहेंगे. यह बड़ा सवाल है. इसलिए सेना को कमजोर करने की कोई भी कोशिश नहीं होनी चाहिए.'
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