भोपाल। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की नजर में राहुल गांधी भी सनातनी हैं. उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र के उनके आव्हान को किसी एक पार्टी के एजेंडे के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. ईटीवी भारत से खास बातचीत में देवकीनंदन ठाकुर हिंदू राष्ट्र की आवश्यकता बताते हुए बोले कि देश के जिन 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, वहां उसकी क्या स्थिति हो गई ये प्रमाण है. उन्होंने सनातन धर्म को सबसे बड़ा धर्म बताते हुए कहा कि जो पांच बार चिल्लाकर अपने धर्म को बड़ा बताते हैं, वो धर्म बड़ा नहीं है. बीजेपी की सरकार होने के बावजूद कृष्ण की मुक्ति के आंदोलन पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि अभी नहीं तो कभी नहीं. उन्होंने उल्टा सवाल किया कि क्या कुरान में मथुरा का नाम है. फिर दोहराया कि स्कूलों में बॉलीवुड के गानों के बजाए राम और कृष्ण पर कोई एक्टिविटी क्यों नहीं होती.
क्या संघ हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे कथावाचक:कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि जो हिंदू राष्ट्र के मुद्दे को किसी पार्टी से जोड़ते हैं, वो अपने साथ अन्याय कर रहे हैं. आने वाली पीढ़ी से अन्याय कर रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्या ये एक पार्टी की दिम्मेदारी है. आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं. हिंदू राष्ट्र का मतलब क्या है. पहले ये तो समझिए. हिंदू राष्ट्र होने के फायदे क्या हैं. उसे नहीं समझेंगे बेवजह संतों पर आरोप लगा देंगे. महात्मा किसी पार्टी के नहीं सनातनी हैं. राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी भी सनातनी हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, कमलनाथ और शिवराज सब सनातनी हैं. देवकी नंदन कहते हैं मैं हिंदू राष्ट्र की बात क्यों कर रहा हूं. इसलिए कि ज्यादा नहीं 25-30 साल बाद आप मुझसे ना ये सवाल कर पाएंगी ना मैं आवाज उठा पाऊंगा. कोई गारंटी दे इस बात की कि ऐसा नहीं होगा हमें लिखकर दे.
जहां हिंदू अल्पसंख्यक वो संकट में: देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि देश के नौ राज्य हैं, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं. वहां हमारे साथ क्या हो रहा है. कश्मीर भारत में है, वहां क्या हो रहा है सभी ने देखा. आपके शहर भोपाल में भी एक इलाका है, वहां हिंदू पलायन कर गए.अब क्यों डरा गए. सब अपनी कुर्सी बचाए हैं, रोटी खाकर बैठे हैं. मैं ये सब देखकर आंख पर पट्टी बांध कर बैठ जाऊं. ऐसा नहीं होगा. संविधान में मुझे राइट है, अपनी आवाज उठाने का. मैं सारे बच्चों को बचाने की बात करूंगा. सनातन की बात करूंगा. संविधान ने मुझे ये अधिकार दिया है.