रायपुर:छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक है. कुछ माह बाद राज्य में आचार संहिता लागू हो जाएगी. ऐसे में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने मुद्दे के साथ ही उम्मीदवारों की तलाश भी शुरू कर ली है. एक ओर सत्ता में काबिज कांग्रेस अपने विधायकों की कार्यशैली की जांच करा रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा फिर से सत्ता में आने के लिए विधानसभा स्तर पर न केवल मुद्दों की तलाश कर रही बल्कि प्रदेश भर में सर्वे भी करा रही है. इसके लिए गुजरात की एक कंपनी को सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सर्वे करने वाली कंपनी केंद्र सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत के साथ ही पिछले चुनाव के उम्मीदवारों की सक्रियता और नए उम्मीदवारों संभावना तलाश रही है.
करीबी हार वाली जगहों पर भाजपा दे रही है ध्यान:भाजपा सूत्रों के मुताबिक यह सर्वे केंद्रीय संगठन की ओर से कराया जा रहा है. इसमें उन विधानसभा क्षेत्रों को विशेष फोकस दिया जा रहा है, जिन क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी को कम अंतराल से हार का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा बस्तर और सरगुजा में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि इन संभागों में पार्टी के एक भी विधायक नहीं है. सरगुजा संभाग के प्रभारी और भाजपा नेता संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि "निश्चित ही जब चुनाव नजदीक होते है तो उस समय पार्टी को लेकर आम मतदाताओं और साथ ही साथ जो हमारे संभावित प्रत्याशी हैं, उन्हें लेकर इस प्रकार का सर्वे निश्चित रूप से होते हैं. मुद्दे कौन से प्रभावी हो सकते हैं. जनता के मन में कौन से मुद्दे हैं, उसी आधार पर घोषणा पत्र भी बनता है और कैंडिडेट का सिलेक्शन भी होता है. उसी के आधार पर चुनाव की रणनीति भी बनती है."
जांची परखी जा रही है कांग्रेस विधायकों की कार्यशैली:कांग्रेस राज्य में सत्ता में है. ऐसे में कांग्रेस दुबारा सत्ता में काबिज होने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है. यही वजह है कि संगठन अपने स्तर पर विधायकों की कार्यशैली की जांच कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर कहते है कि "चुनाव के संबंध में संगठन की एक विशेष तैयारी होती है. जैसे हमारी सरकार यहां पर है तो हमारी सरकार के जो 4 साल की उपलब्धियां हैं. उसके साथ-साथ कांग्रेस की जो सिद्धांत है और हमारे जो विधायक हैं, उनके काम को लेकर संगठन अपने स्तर पर तैयारी करती है. उसी के आधार पर टिकट की जो प्रक्रिया है, वह पूरी होती है."
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पिछले चुनाव में हारे थे 8 मंत्री समेत 22 विधायक:15 साल से सत्ता का सुख भोग रही भाजपा को 2018 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. भाजपा सरकार के 8 मंत्री समेत 22 विधायकों की हार हुई थी. सूत्रों की माने तो भाजपा ने अपने सर्वे में 8 पूर्व मंत्रियों अमर अग्रवाल, दयालदास बघेल, भैयालाल राजवाड़े, रामसेवक पैकरा, प्रेम प्रकाश पांडे, केदार कश्यप, राजेश मूणत और लता उसेंडी की सीट पर विशेष ध्यान दिया है. 15 साल सत्ता में रहने की वजह से इन सीटों पर नए नेताओं का प्रभाव कम रह है. ऐसे में इन सीटों पर पार्टी दूसरी पंक्ति के नेताओं की तलाश भी कर रही है.
खतरे में कांग्रेस के 22 विधायकों की सीट:छत्तीसगढ़ में कांग्रेस विधायकों की कार्यशैली को लेकर न केवल सरकार बल्कि संगठन भी सतर्क है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले भी कह चुके हैं कि यदि विधायकों की कार्यशैली में सुधार नहीं होता है, तो उनकी सीट पर टिकट को लेकर संगठन विचार करेगा. सूत्रों की माने तो कांग्रेस के 22 विधायकों की सीट खतरे में है. क्योंकि उन विधायकों को कुछ माह पहले संगठन ने कार्यशैली सुधारने के निर्देश दिए थे. राज्य में 90 सीटों में से कांग्रेस के पास 71 सीटें हैं.