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अयोध्या तपस्वी छावनी पीठ की गद्दी के लिए संतों के दो गुट आमने-सामने, DIG से मांगी सुरक्षा

अयोध्या की प्रसिद्ध तपस्वी छावनी पीठ की गद्दी पर काबिज को होने के लिए संतों को दो गुटों में विवाद पनप रहा है. इस विवाद के चलते बुधवार को संतों ने डीआईजी से मुलाकात कर सुरक्षा की गुहार लगाई है.

जानकारी देते संत.
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Published : Sep 7, 2022, 5:24 PM IST

अयोध्या: जनपद की प्रसिद्ध तपस्वी छावनी पीठ के महंत सर्वेश्वर दास के निधन के बाद अब उनकी गद्दी पर कब्जा करने के लिए विवाद खड़ा हो गया है. एक तरफ से परमहंस दास ने खुद को महंत घोषित करते हुए हनुमानगढ़ी के साधुओं का समर्थन लेकर मंदिर पर कब्जे का दावा किया है. वहीं, दूसरी तरफ मंदिर को लेकर बनाए गए ट्रस्ट द्वारा घोषित महंत दिलीप दास के समर्थन में अयोध्या के संतों का दूसरा गुट आमने-सामने है.

जानकारी देते संत.

मंदिर की गद्दी पर काबिज होने के लिए संतों के दो गुटों का विवाद कभी भी हिंसक रूप धारण कर सकता है. विवाद की आशंका को देखते हुए बुधवार को दिलीप दास के समर्थन में संतों का एक प्रतिनिधिमंडल डीआईजी अयोध्या रेंज अमरेंद्र प्रताप सिंह से मिला. संतों के प्रतिनिधिमंडल ने डीआईजी से मिलकर मंदिर के विषय में पूरी जानकारी दी और सुरक्षा प्रदान करने की मांग की.


हनुमानगढ़ी के नागा साधु परमहंस के समर्थन में आए
संतो ने डीआइजी को बताया कि वर्ष 2019 से तपस्वी छावनी में एक ट्रस्ट काम कर रहा है. जिसके तहत जगन्नाथ मंदिर अहमदाबाद के संत दिलीप दास को तपस्वी छावनी का महंत बनाया जा रहा है. इसलिए दिलीप दास को महंती और चादर देनी है, भंडारा भी किया जाना है. इस कार्यक्रम के अवसर पर संतो ने डीआईजी से सुरक्षा व्यवस्था करने की मांग की.

वहीं, दूसरी तरफ हनुमानगढ़ी के नागा संतों का गुट तपस्वी छावनी के संत परमहंस को समर्थन दे रहा है. अपने बयानों से चर्चा में आए परमहंस दास अब तपस्वी छावनी के महंत बनना चाहते हैं. परमहंस दास को अब हनुमानगढ़ी के नागा संतो का समर्थन है. संतो के एक गुट को हनुमानगढ़ी समर्थन दे रहा है, तो दूसरे गुट को राम वल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास का समर्थन मिल रहा है. माना जाता है कि राजकुमार दास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी हैं. फिलहाल संतो का एक गुट डीआईजी से मिलकर सुरक्षा की मांग कर रहा है तो दूसरा गुट भी परमहंस को महंत बनाने के लिए दावेदारी कर रहा है. समय रहते महंती विवाद को नहीं सुलझाया गया तो संतो-महंतों के दोनों गुटों में संघर्ष तय माना जा रहा है.

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