नई दिल्ली : भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के वरिष्ठ कमांडरों के बीच शुक्रवार को चुशुल में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 13 घंचे लंबी बातचीत हुई. इसके परिणामस्वरूप दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों एवं व्यवस्थाओं के अनुसार लंबित मुद्दों को शीघ्र निपटाने की आवश्यकता पर सहमत हुए हैं.
विदेश मामलों और रक्षा मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान से सामने आया है कि पूर्वी पैंगॉन्ग त्सो के उत्तर और दक्षिण तट पर दो फेस-ऑफ बिंदुओं पर विघटन प्रक्रिया के पूरा होने के बाद हालात बेहतर होने की उम्मीद के झूठा साबित कर दिया है.
सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को दोनों देशों के बीच की वार्ता आगे नहीं बढ़ सकी और पैंगोंग त्सो विस्थापन पर कोई लाभ नहीं हो सका.
वार्ता के दौरान गोगरा और डेमचोक हॉट स्प्रिंग्स बिन्दु पर चर्च हुई, जिसमें कोई प्रगति नहीं हुई.
भारतीय परिप्रेक्ष्य से वार्ता को दौरान इस बात पर प्रकाश डाला गया कि चीन स्टडी ग्रुप (सीएसजी) में जमीनी स्तर की गतिशीलता के प्रतिनिधित्व की कमी के साथ एक विसंगति मौजूद है.
विश्लेषण विंग (RAW) के सदस्य के रूप में उच्च-स्तरीय CSG का नेतृत्व कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, विदेश सचिव, रक्षा सचिव, सेना, नौसेना और IAF के उप-प्रमुख, और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और अनुसंधान और अनुसंधान प्रमुखों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने किया.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन, नवीन श्रीवास्तव, विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव, डीजीएमओ के एक ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी के अलावा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) सहित स्थानीय सैन्य अधिकारियों ने किया, जो लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक भारत-चीन सीमा की रखवाली करती है. यहां सेना के साथ आईटीबीपी की टीमें संयुक्त रूप से काम करती हैं.