नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर परिसीमन प्रक्रिया की मदद से असम में ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. पार्टी ने मणिपुर में बीरेन सिंह सरकार को बर्खास्त करने की भी मांग की. कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने ईटीवी भारत से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि हम परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ नहीं हैं. सच कहूं तो परिसीमन प्रक्रिया का मौजूदा मसौदा चुनाव आयोग का मसौदा नहीं है, यह असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा तैयार किया गया मसौदा है.
उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मसौदा है जो मोहम्मद अली जिन्ना जैसे लोगों को खुश कर सकता है. खलीक ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत नाटक है. मैंने मसौदे के विरोध में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार, असम सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग से परिसीमन कदम का विरोध करने वाले असम के 11 विपक्षी दलों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर जवाब देने को कहा है. खलीक ने कहा कि यह मसौदा असम के लिए अच्छा नहीं है. जब 2026 में भारत में परिसीमन प्रक्रिया होगी, तो असम को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए था.
विपक्षी दलों का दावा है कि यह मसौदा दो दशक पुरानी (2001) जनसंख्या जनगणना के आधार पर तैयार किया गया है. खलीक ने कहा कि फिलहाल परिसीमन की कोई जरूरत नहीं है और मामला अदालत में भी है. उन्होंने दावा किया कि हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार राज्य में ध्रुवीकरण की राजनीति खेलने की कोशिश कर रही है. ख़लीक़ ने पूछा कि सरकार विकास कार्यों के आधार पर जनता के पास नहीं जा सकती. विडम्बना यह है कि भारतीय संविधान में मूल निवासियों की सुरक्षा का कोई जिक्र नहीं है लेकिन परिसीमन के प्रारूप पत्र में चुनाव आयोग ने मूल निवासियों की सुरक्षा का उल्लेख किया है. ऐसा कैसे हो सकता है?