भोपाल।कहते हैं व्यक्ति हो या स्थान पहचान बहुत जरूरी होती है. जब किसी की पहचान ही उससे छीन ली जाए तो उसके वजूद पर भी सवाल उठने लगते हैं. कुछ ऐसा ही हाल राजधानी भोपाल में देखने मिला. जहां 13 किलोमीटर दूर एक स्थान अपनी असली पहचान का पिछले 308 साल से इंतजार कर रहा था. अब जाकर इस्लामानगर को उसकी असली पहचान वापस मिल गई है, 308 सालों का इंतजार आखिरकार खत्म हुआ. जी हां इस्लामानगर अब जगदीशपुर के नाम से जाना जाएगा. राज्य सरकार ने इसका नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया है. राजपत्र में इसकी अधिसूचना भी प्रकाशित कर दी गई है. महलों का भी रिनोवेशन होगा.
क्या कहता है इतिहास:हलाली नदी के किनारे बसे इस्लामनगर का किला बहुत सुंदर है. इस्लामनगर को पहले जगदीशपुर के नाम से ही जाना जाता था. मूल रूप से जगदीशपुर के नाम से जाना जाने वाला यह स्थान स्थानीय गौंड शासक राजा विजयराम द्वारा स्थापित किया गया था. 18वीं शताब्दी की शुरुआत में, भोपाल रियासत के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर के राजा को धोखे से मार दिया और जगदीशपुर पर कब्जा कर लिया था. तब जगदीशपुर का नाम बदलकर इस्लामनगर रख दिया गया था. इस्लामनगर दोस्त मोहम्मद खान के राज्य की मूल राजधानी थी. इस्लामनगर में चमन महल का निर्माण 1715 ईस्वी में दोस्त मोहम्मद खान द्वारा कराया गया है. यहां का रानीमहल भी बहुत खूबसूरत है. 1723 में, दोस्त मोहम्मद खान को एक संक्षिप्त घेराबंदी के बाद इस्लामनगर किले को निजाम-उल-मुल्क को सौंपना पड़ा. एक शांति संधि के बाद खान को निजाम के तहत एक किलेदार के पद पर तैनात किया गया था. वर्ष 1727 में उन्होंने अपनी राजधानी को भोपाल स्थानांतरित कर दिया.