हैदराबाद : उत्तर प्रदेश के अयोध्या का रामजन्म भूमि - बाबरी मस्जिद विवाद काफी जटिल है. 1950 में अदालत की चौखट पर पहुंचा ये मामला, अब देश की सर्वोच्च अदालत में लंबित है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ ने साल 2010 में इस टाइटल सूट विवाद पर फैसला सुनाया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 40 दिनों में रोजाना सुनवाई कर फैसला सुरक्षित कर लिया है. सभी पक्षों की दलीलें और जिरह खत्म हो चुकी हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि देश की शीर्ष अदालत जल्द ही इस जटिल टाइटल सूट विवाद पर अपना फैसला सुना सकती है.
पढ़ें, इतिहास में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर साल 1528 में बाबरी मस्जिद बनने के बाद से 16 अक्टूबर, 2019 तक बिंदुवार घटनाक्रम.
- 1528 - मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया.
- 1859 - भूमि पर कब्जे को लेकर सांप्रदायिक झड़प. अंग्रेजों ने बाड़ा (fencing) लगाकर पूजा-इबादत की जगहें अलग की. अंदरूनी हिस्से में मुस्लिमों को इबादत, जबकि बाहरी हिस्से में हिन्दुओं को पूजा की जगह मिली.
- 1885 - महंत रघुबीर दास उत्तर प्रदेश (तत्कालीन यूनाइटेड प्रॉविंस) के फैजाबाद जिला अदालत पहुंचे. उन्होंने विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के बाहर मंडप (canopy) लगाने की अनुमति मांगी. अदालत में याचिका खारिज हो गई.
- 1949 - कथित तौर पर मूर्तियां केंद्रीय गुंबद (central dome) के नीचे रखी गईं. ये जगह विवादित ढांचे के बाहर है.
- 1950 -राम लला की पूजा का अधिकार पाने के लिए गोपाल सिमला विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका (Suit) दायर की.
- 1950 - परमहंस रामचंद्र दास ने मूर्तियों को वहीं रखे जाने और पूजा जारी रखने के लिए याचिका दाखिल की.
- 1958 - निर्मोही अखाड़ा ने भूमि पर मालिकाना हक के लिए याचिका दाखिल की.
- 1981 - उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भूमि पर मालिकाना हक के लिए याचिका दाखिल की.
- एक फरवरी, 1986 - स्थानीय अदालत ने सरकार को हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए साइट को खोले जाने का निर्देश दिया.
- 14 अगस्त, 1989 - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे के संदर्भ में यथास्थिति (status quo) बरकरार रखने का आदेश दिया.
- 6 दिसम्बर, 1992 - बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सरकारों को बर्खास्त कर दिया.
- 16 दिसम्बर, 1992 - जस्टिस एमएस लिब्रहान की अध्यक्षता में पीएम नरसिम्हा राव ने जांच आयोग का गठन किया.
- तीन अप्रैल, 1993 - विवादित क्षेत्र के अधिग्रहण के लिए संसद से दी एक्विजिशन ऑफ सर्टेन एरिया एट अयोध्या एक्ट (The Acquisition of Certain Area at Ayodhya Act, 1993) पारित हुआ.
- 1993 - केंद्र सरकार के कानून- The Acquisition of Certain Area at Ayodhya Act, 1993 के कई प्रावधानों के खिलाफ इस्माइल फारूकी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे.
- 24 अक्टूबर, 1994- इस्माइल फारूकी केस में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला. कहा - मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य (integral) अंग नहीं.
- सितम्बर, 1997 - बाबरी मस्जिद गिराने का मामला सुन रही विशेष अदालत ने 49 आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित करने का आदेश दिया. आरोपियों में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कल्याण सिंह जैसे लोग शामिल रहे.
- 2001 -विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए मार्च 2002 की डेडलाइन तय की.
- 4 फरवरी, 2002 - विश्व हिन्दू परिषद के दबाव में केंद्र सरकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इसमें अयोध्या में किसी भी धार्मिक गतिविधि पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश हटाने की अपील की गई.
- 6 फरवरी, 2002 - गुजरात के गोधरा में अयोध्या से आने वाले कार सेवकों पर हमला. ट्रेन पर हुए इस हमले में 59 लोग मारे गये. इसके बाद पूरे गुजरात में हुए दंगों में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई.
- अप्रैल, 2002 - इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अयोध्या की विवादित भूमि के मालिकाना हक पर सुनवाई शुरू.
- जून, 2002 - तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या सेल का गठन किया. इसका मकसद हिन्दू और मुस्लिम नेताओं से बात करना था.
- 13 मार्च, 2002 -असलम उर्फ भूरे केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश. अधिग्रहण की गई जमीन पर किसी पर तरह की धार्मिक गतिविधि पर रोक.
- 14 मार्च - सुप्रीम कोर्ट का धार्मिक गतिविधियों पर रोक का अंतरिम आदेश. कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमीन का मामला (civil suit) निष्पादित होने तक आदेश प्रभावी रहेगा. इसका मकसद सामुदायिक सौहार्द बरकरार रखना है.
- जून, 2009 - जस्टिस लिब्रहान समिति ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी. इसे सार्वजनिक नहीं किया गया.
- 30 सितम्बर, 2010 - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 : 1 के बहुमत से विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया. ये तीन पक्ष हैं - निर्मोही अखाड़ा, राम लला और सुन्नी वक्फ बोर्ड.
- 9 मई, 2011 -अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई.
- 26 फरवरी, 2016 -सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. स्वामी ने विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने की अनुमति मांगी.
2017
- 21 मार्च, 2017 -तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (CJI) जेएस खेहर ने सभी पक्षकारों को अदालत के बाहर सुलह करने का सुझाव दिया.
- 19 अप्रैल, 2017 - बीजेपी नेताओं को अदालत की कार्रवाई से राहत नहीं.
- 7 अगस्त, 2017 - सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की पीठ गठित की. पीठ के समक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी.
- 8 अगस्त, 2017 - उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी. वक्फ बोर्ड ने कहा - विवादित स्थल से उचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद बनाई जा सकती थी.
- 11 अगस्त, 2017 - सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद से जुड़ी 13 अपीलों पर सुनवाई के लिए 5 दिसम्बर, 2017 का दिन चुना. ये 15वीं सदी के बाबरी मस्जिद को गिराने की 25वीं बरसी थी.
- 11 सितम्बर, 2017 - सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को निर्देश दिए. ऑब्जर्वर के रूप में दो एडिशनल जिला जजों के नाम नामित करने को कहा.
- 20 नवम्बर, 2017 - शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण किया जा सकता है, और लखनऊ में एक मस्जिद बनाई जा सकती है.
- एक दिसम्बर, 2017 - 32 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने 2010 में सुनाये गये इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की.
- 05 दिसम्बर, 2017 - सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद टाइटल विवाद की सुनवाई के लिए 8 फरवरी, 2018 की तारीख तय. इस केस में कई पक्ष शामिल हैं. याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती दी गई है.
- तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की विषेश बेंच का गठन हुआ. इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के खिलाफ दायर कुल 13 अपीलों पर सुनवाई का फैसला हुआ. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार सिविल सूट में ये फैसला सुनाया.
- सुप्रीम कोर्ट ने अपील के वकीलों को (advocates on record) एक साथ बैठने को कहा. इसका मकसद सभी जरूरी कागजातों का अनुवाद कर, रजिस्ट्री के पास फाइल कर इसकी नंबरिंग कराना था.
2018
- 8 फरवरी, 2018 -सुप्रीम कोर्ट में सिविल अपील के मामलों की सुनवाई शुरू.
- 14 मार्च, 2018 - सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. इनमें सुब्रह्मण्यम स्वामी व अन्य लोगों ने इस केस में एक पक्ष होने का दावा किया था.
- 23 मार्च 2018 - 1994 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद इस्लाम और नमाज के लिए अनिवार्य नहीं (mosque has no 'unique or special status' and is not an essential part) है.
- राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद से जुड़े मुस्लिम पक्षों ने कहा कि जमीन विवाद के केस की सुनवाई से पहले शीर्ष अदालत को अपने स्टैंड पर दोबारा विचार करना चाहिए.
- 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुसलमान कहीं भी नमाज पढ़ सकते हैं, यहां तक की खुली जगह में भी. ('Muslims can offer prayer anywhere, even in open')
- 6 अप्रैल, 2018 - राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. इसमें 1994 के फैसले पर दोबारा विचार की मांग की गई. इस फैसले में एक बड़ी बेंच में सुनवाई कर, सुप्रीम कोर्ट के ही टिप्पणी (observations) पर दोबारा विचार करने की अपील की गई.
- 6 जुलाई, 2018 - उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कुछ लोग 1994 के फैसले पर दोबारा विचार की मांग कर रहे हैं. इसका मकसद केस की सुनवाई में देरी किया जाना है. उत्तर प्रदेश सरकार ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में मुस्लिम पक्षकारों पर सुप्रीम कोर्ट में जानबूझ कर देरी करने का आरोप लगाया. सरकार ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों की भावनाएं इस केस से जुड़ी हुई हैं.
- 20 जुलाई, 2018 -सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा.
- 27 सितम्बर, 2018 -तीन जजों की पीठ ने 2:1 के बहुमत से फैसला सुनाया. पीठ ने 1994 के अपने फैसले को सात जजों की पीठ में भेजने और दोबारा विचार करने से इनकार कर दिया. तीन जजों की नई बेंच में सुनवाई की तारीख 29 अक्टूबर निर्धारित.
- याचिकाकर्ताओं ने कहा था, इस्लाम में नमाज की जगह के रूप में मस्जिद अनिवार्य भाग है. ('mosque as a place of prayer is an essential part of Islam')
- इससे पहले 1994 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने कहा था ने कहा कि मस्जिद इस्लाम और नमाज के लिए अनिवार्य नहीं (mosque has no 'unique or special status' and is not an essential part) है.
- 29 अक्टूबर, 2018 - चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के केस को जनवरी, 2019 में लिस्ट करने का निर्देश दिया.
- मामले की जल्द सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये विषय जनवरी में समुचित बेंच (appropriate bench) के गठन के बाद उसका विशेषाधिकार होगा.
- पांच दिसम्बर, 2018 - अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार. याचिकाकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव-2019 का हवाला देते हुए राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद से जुड़े केस की सुनवाई 15 जुलाई, 2019 तक टालने की अपील की थी.