नई दिल्ली : शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले तीन माह से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे लोगों ने आज धरना स्थल खाली कर दिया. यह रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा वार्ताकार के रूप में नियुक्त वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने सभी लोगों से अपील की है कि वे इस मुद्दे को 'हार या जीत के सवाल' के रूप में न देखें.
वार्ताकारों ने संयुक्त रूप से कहा कि 'देश में एक गंभीर महामारी की आशंका है, वर्तमान में सभी को इसी संदर्भ में ध्यान केंद्रित करना चाहिए.'
उन्होंने प्रशासन के साथ-साथ प्रदर्शनकारियों से अनुरोध किया कि वे अब ऐसा कुछ भी न करें, जिससे सड़क पर हुए प्रदर्शन के दौरान व्याप्त तनाव दोबारा बढ़ जाए.
शाहीन बाग में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन की सराहना करते हुए हेगड़े और रामचंद्रन ने कहा कि वार्ता की प्रक्रिया ने कई मूल्यवान बिंदुओं को सुदृढ़ किया, जिनमें हर समय वार्ता की आवश्यकता थी. इस प्रक्रिया ने अन्य क्षेत्रों मे भी हो रहे प्रदर्शन स्थलों पर शांति बनाए रखने में मदद की.
गौरतलब है कि 1984 के सिख दंगों के बाद दिल्ली हिंसा सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला दंगा माना गया. इस हिंसा में 50 से ज्यादा लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए. लेकिन शाहीन बाग में ऐसा कुछ नहीं हुआ. वहां प्रदर्शनकारियों ने अपने पक्ष में हिंसा की एक भी रिपोर्ट नहीं आने के बाद अपना अहिंसक विरोध जारी रखा था.
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कार्यकर्ताओं और प्रमुख हस्तियों के बहुत समझाने के बाद, प्रदर्शनकारियों ने अंत में प्रदर्शन स्थल को खाली कर दिया, हालांकि देश में फैले कोरोना वायरस के कारण प्रदर्शनकारियों की संख्या पहले ही कम हो गई थी. लेकिन सभी ने स्थान खाली नहीं किया था. बीते रविवार को देशभर में लगाए गए स्वैच्छिक जनता कर्फ्यू दिल्ली में सोमवार को धारा 144 लागू कर दी गई थी. उसके बाद प्रदर्शनकारियों ने शाहीन बाग धरना स्थल खाली कर दिया.