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'कर्नाटक वक्फ बोर्ड पर निर्भर करेगा अल्पसंख्यक योजनाओं का लाभ' - अल्पसंख्यक योजनाओं का लाभ

राज्य सभा और कर्नाटक वक्फ बोर्ड के सदस्य डॉक्टर नासिर हुसैन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें अल्पसंख्यकों के लिए तमाम योजनाएं चला रही हैं, लेकिन इनका लाभ सभी को नहीं मिल पा रहा है.

Every year Numerous schemes are issued by the central government for the welfare of minorities
कर्नाटक वक्फ बोर्ड और राज्यसभा सदस्य डॉक्टर नासिर हुसैन दिया बयान

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Published : Oct 28, 2020, 9:17 PM IST

बेंगलुरु: अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए केंद्र की मोदी सरकार हर साल कई योजनाएं चला रही है, लेकिन इन योजनाओं का लाभ देश के प्रत्येक व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रहा है. कर्नाटक वक्फ बोर्ड और राज्य सभा सदस्य डॉक्टर नासिर हुसैन ने यह बात कही.

ईटीवी भारत से अल्पसंख्यक योजना के बारे में बात करते हुए डॉक्टर नासिर हुसैन ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों अल्पसंख्यकों के लिए तमाम योजनाएं चला रही हैं. यह वक्फ बोर्ड पर निर्भर करता है कि वह कैसे इन योजनाओं का लाभ उठाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पास 32 हजार से ज्यादा कमेटियां हैं. इनकी सहायता से वक्फ बोर्ड सरकार की योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचा सकता है.

देखें रिपोर्ट

119 करोड़ की योजनाओं के लिए जारी की गई राशि

डॉ. नासिर हुसैन ने कहा कि इस तरह की योजनाओं का उपयोग संपन्न संपत्तियों पर भी किया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए हॉस्टल और मार्केट शेड की परियोजनाओं के लिए रु119 करोड़ जारी किए गए हैं. डॉक्टर नासिर हुसैन ने आगे कहा कि आवास योजनाएं भी हैं, जिन्हें वक्फ संपत्तियों के लिए जमीनी स्तर पर लागू किया जा सकता है.

क्या होता है वक्फ?

वक्फ उस संपत्ति को कहते हैं जो धार्मिक और चैरिटेबल कार्यों के लिए दान में दी जाती हैं. कोई शख्स अपनी चल या अचल संपत्ति को अपनी मर्जी से इस्लाम के पवित्र कार्यों में लगाने के लिए दान करता है, तो उसे वक्फ कहते हैं. किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जा सकता है अगर उसका इस्तेमाल लंबे समय के लिए इस्लाम से जुड़ी धार्मिक गतिविधियों या चैरिटेबल वजहों से किया जा रहा हो. वक्फ की संपत्ति का इस्तेमाल आमतौर पर धार्मिक स्कूल चलाने, कब्रिस्तान बनाने, मस्जिद बनाने या फिर शेल्टर होम बनाने के लिए किया जाता है.

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कैसे काम करता है वक्फ?

वक्फ के काम करने के लिए वक्फ एक्ट 1995 बनाया गया है. इस एक्ट के मुताबिक ही वक्फ काम करता है. वक्फ भी ट्रस्ट की तरह काम करता है. हालांकि ट्रस्ट का दायरा ज्यादा बड़ा है. वह सिर्फ धार्मिक कार्यों तक सीमित नहीं है. ट्रस्ट को उसका बोर्ड चाहे तो भंग कर सकता है, लेकिन वक्फ के साथ ऐसा नहीं है.

हर राज्य का अपना होता है वक्फ बोर्ड

हर राज्य के पास अपना वक्फ बोर्ड होता है. इसके चेयरमैन होते हैं. इसमें एक या दो राज्य सरकार के नॉमिनी भी होते हैं, जो मुस्लिम विधायक या सांसद हो सकते हैं या फिर कोई मुस्लिम स्कॉलर, स्टेट बार काउंसिल के सदस्य हो सकते हैं. वक्फ बोर्ड के पास यह अधिकार है कि वह अपनी संपत्ति का अपने हिसाब से इस्तेमाल करे. वक्फ अपनी संपत्ति को बेच भी सकता है और उसे लीज पर भी दे सकता है, लेकिन इसके लिए बोर्ड के दो तिहाई सदस्यों की मंजूरी लेनी जरूरी है.

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