काठमांडू :नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पर पार्टी से इस्तीफा देने का काफी दबाव है. इसके चलते ओली ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की. जिसमें नो कॉन्फिडेंस मोशन से बचने के लिए संसद के बजट सत्र को विघटित किए बिना रद्द करने का फैसला किया गया. इस बीच, सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति ने गुरुवार को ओली की अनुपस्थिति में गुरुवार को मुलाकात की.
काठमांडू स्थित राजनीतिक विश्लेषक हरि रोका ने ईटीवी भारत को बताया कि फिलहाल ओली के पास दो ही विकल्प बचे हैं. या तो वह प्रधानमंत्री पद या फिर पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दें.
काठमांडु के पत्रकार ने फोन पर बताया कि ओली के लिए अंतिम विकल्प पार्टी को विभाजित करना है.
इससे पहले सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (राकांपा) की स्थायी समिति के अधिकतर सदस्यों ने बुधवार को प्रधानमंत्री के पी ओली की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. जिससे नेपाली पीएम को आने वाले दिनों में अपने पद को बचाने के लिए और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
हालांकि बुधवार को काठमांडू में हुई स्थायी समिति की बैठक को लेकर केवल पांच लोगों ने ही मीडिया से बात की. इस दौरान इन सभी ने ओली को प्रधानमंत्री बने रहने पर आशंका जताई.
द काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, इनमें से तीन नेताओं, पेशल खतीवाड़ा, मत्रिका यादव और लीलामणि पोखरेल ने ओली के इस्तीफे की मांग की, जबकि दो अन्य, नंद कुमार प्रसाद और योगेश भट्टराई ने उनसे अपनी कार्यशैली में सुधार करने की बात कही है.
गौरतलब है कि यह बैठक, जो प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास पर आयोजित की गई थी. इसे समिति के सदस्यों की टिप्पणी के बाद रोक दिया गया. इसके बाद यह बैठक गुरूवार को फिर से शुरू हुई.
बता दें कि ओली के चीन समर्थित गतिविधियों के कारण हाल ही में भारत-चीन संबंधों काफी दबाव पड़ा है.
बता दें कि पिछले महीने, ओली ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा सहित देश के एक नए राजनीतिक मानचित्र को संसद में पेश किया, जिसमें भारतीय क्षेत्रों को नेपाल की सीमा में दर्शाया गया.
यह सब मई में भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए बनाए गए लिपुलेख तक एक सड़क का उद्घाटन करने के बाद यह हुआ.
ओली के इस कदम के बाद भारत ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस कदम की कड़ी निंदा की.
इसके बाद रविवार को ओली ने भारत पर आरोप लगाया कि भारत उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने की कोशिश कर रहा है.
ओली ने रविवार को काठमांडू में एक कार्यक्रम में कहा, 'कुछ लोग मुझे भारत की मदद से प्रधानमंत्री पद से हटाना चाहते हैं. क्योंकि मैंने सीमा विवाद को लेकर आवाज उठाई. लेकिन किसी को भी यह नहीं समझना चाहिए कि वह अपनी इस कोशिश में सफल होगा.'