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नगा विद्रोह : भारत में सबसे पुराना उग्रवादी अभियान

नगा विद्रोह भारत में सबसे पुराना उग्रवादी अभियान है. नगाओं में कई सौ जनजातियां शामिल हैं, जो नगालैंड के नगा पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ क्षेत्रों से म्यांमार तक फैली हुई हैं. सिलसिलेवार तरीके से जानिए नगा विद्रोह का इतिहास

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Published : Jul 12, 2020, 7:14 PM IST

हैदराबाद : नगा विद्रोह भारत में सबसे पुराना उग्रवादी अभियान है. नगाओं में कई सौ जनजातियां शामिल हैं, जो नगालैंड के नगा पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ क्षेत्रों से म्यांमार तक फैली हुई हैं.

नगाओं ने एक स्वायत्त नगा राज्य - ग्रेटर नगालिम के लिए 1946 से एक सशस्त्र अभियान छेड़ रखा है. ग्रेटर नगालिम में उन्होंने नगालैंड के अलावा अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर के क्षेत्रों को समाहित करने की मांग रखी है.

आंदोलन की शुरुआत
1826 में असम के भारत में शामिल होने के बाद 1881 में नगा हिल ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना. इसके बाद 1918 में नगा क्लब स्थापित किया गया और इसकी राजनीतिक इकाई नगा नेशनल काउंसिल (NNC) भी स्थापित की गई.

14 अगस्त 1947 को अंगामी जापू फिजो (जिसे नागाओं का पिता कहा जाता है) के नेतृत्व में एनएनसी ने नगालैंड को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया.

इसके बाद राज्य में संप्रभु नगालैंड के लिए एक अवैध जनमत संग्रह हुआ, जिसे फिजो का समर्थन हासिल था. फिजो ने 1952 में नगा फेडरल सरकार (NFG) और नगा फेडरल आर्मी (NFA) का गठन किया, जिसने भारत सरकार के खिलाफ संघर्ष शुरू कर दिया.

1958 में यह संघर्ष हिंसक हो गया और राज्य में आर्म फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया.

एनएनसी ने 1975 में भारत सरकार के साथ शिलांग पीस एकोर्ड ( शांति समझौता) पर हस्ताक्षर किए, जिसने हिंसा को अस्थायी रूप से समाप्त कर दिया. इसके बाद एनएनसी कई हिस्सों में बंट गया और इन टूटते गुटों ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (NSCN) का गठन किया, जिसने शिलांग समझौते को मान्यता देने से इनकार कर दिया और संघर्ष जारी रखा.

एनएससीएन (आईएम) की मांग

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड एक 'ग्रेटर नगालिम' की मांग करता आया है. ग्रेटर नगालिम में नगालैंड के साथ-साथ वह सभी क्षेत्र हैं, जिसमें नगा बसे हुए हैं. इनमें असम के कुछ जिले, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर शामिल हैं. ये क्षेत्र म्यांमार के रास्ते में पड़ते हैं.

ग्रेटर नगालिम का मैप 1,20,000 वर्ग किलोमीटर का है, जबकि नगालैंड का मैप 16,527 वर्ग किलोमीटर का है.

कम से कम पांच बार- दिसंबर 1964, अगस्त 1970, सितंबर 1994, दिसंबर 2003 और 27 जुलाई 2015 में नगालैंड विधानसभा ने ग्रेटर नगालिम की मांग का समर्थन किया है, जो एक प्रशासनिक सुरक्षा में सभी नगा-बसे हुए क्षेत्रों का एकीकरण है.

नगा विद्रोहियों का सिलसिलेवार विवरण

नगा हिल्स 1881 में ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गया. नागा ब्रिटिश शासन से पहले स्वतंत्र थे, जबकि 1881 से अर्ध स्वतंत्रता का आनंद लिया.

1998 : बिखरी हुई नागा जनजातियों को एक साथ लाने के प्रयास के परिणामस्वरूप 1918 में नगा क्लब का गठन हुआ.

1929 : नगा क्लब ने 1929 में साइमन कमीशन को अकेला छोड़ने के लिए कहा.

01.04.1937: नगा क्षेत्रों को भारत सरकार अधिनियम (1935) के दायरे से बाहर रखा गया और सीधे ब्रिटिश क्राउन के तहत लाया गया.

1946 : फिजो के नेतृत्व में 1946 में नगा नेशनल काउंसिल (NNC) के गठन के बाद अलग नगा होमलैंड के लिए आंदोलन को गति मिली.

29.06.1947 : असम के तत्कालीन गवर्नर सर अकबर हैदरी ने नगाओं, टी. साखरी और अलीबा इम्ती के साथ 9 सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए.

संप्रभुत्व नगा राज्य की स्थापना का संकल्प

02.08.1947 : नगा नेशनल काउंसिल ने अंगामी जापू फिजो के नेतृत्व में विद्रोह किया और इस दौरान एनएनसी ने एक संप्रभु राज्य स्थापित करने के लिए संकल्प लिया.

14. 08.1947 : नगा नेशनल काउंसिल (नगा क्लब) ने नगा स्वतंत्र दिवस का एलान कर दिया.

01.05.1951 : एनएनसी का दावा है कि 99 प्रतिशत नगा स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं. एनएनसी ने 1952 के पहले आम चुनाव का बहिष्कार किया और हिंसक अलगाववादी आंदोलन शुरू किया.

22.03.1956: फिजो ने नगा संघीय सरकार (NFG) और एक नागा संघीय सेना (NFA) की स्थापना की.

फिजो का पलायन

01.04.1956 : नई दिल्ली ने असम के (तब) नगा हिल्स जिले में विद्रोह को कुचलने के लिए सेना भेजी. इसके बाद फिजो दिसंबर में (तत्कालीन) पूर्वी पाकिस्तान और बाद में, जून 1960 में लंदन भाग गया.

01.01.1958 : नगालैंड हिल्स में आर्म फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) लागू किया गया.

03.07.1960 : नई दिल्ली ने नगा पीपुल्स कन्वेंशन के साथ 16-बिंदु समझौते पर हस्ताक्षर किए.

1.12.1963 : नगालैंड को राज्य का दर्जा मिला.

01.01.1964 : जय प्रकाश नारायण, बी पी चालिहा और रेव माइकल स्कॉट ने नगालैंड में शांति मिशन (ऑपरेशन सस्पेंशन फॉर ऑपरेशन) के एक समझौते पर विद्रोहियों के साथ हस्ताक्षर किए.

11.11.1975 : केंद्र सरकार और एनएनसी के बीच शिलांग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

31.01.1980 : नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (NSCN) का गठन म्यांमार के जंगलों में किया गया था. स्वू को एसएस खापलांग का अध्यक्ष, म्यांमार के हेमी नागा को उपाध्यक्ष और मणिपुर के उखरुल जिले के थुलिंगलेंग मुइवा, जो तन्गुकुल नगा था को महासचिव के रूप में नामित किया गया था.

01.01.1988 : एनएससीएन का विभाजन हुआ और खोले कोन्याक व खापलांग ने एनएससीएन (के) बनाया.

1991: अंगामी जापू फिजो (जिसे नागाओं का पिता कहा जाता है) का लंदन में निधन हो गया.

25.08.1997 : भारत ने तीन महीने के युद्धविराम की घोषणा की.

15.06.1995 : पी.वी. नरसिम्हा राव पेरिस में मुइवा और इसाक से मिले.

03.02.1997 : ज्यूरिख में देवेगौड़ा NSCN (IM) के नेतृत्व से मिले.

01.08.1997 : नगालैंड में NSCN-IM के साथ युद्धविराम प्रभावी हुआ. पूर्वोत्तर के बाकी हिस्सों में इसे बढ़ाने के लिए कोशिश की गई.

30.09.1998 : अटल बिहारी वाजपेयी और ब्रजेश मिश्र ने पेरिस में NSCN (IM) नेताओं से मुलाकात की.

27.04.2001 : NSCN-K ने युद्ध को रोका और युद्धविराम प्रभावी हुआ.

09.01.2003 : मुइवा और इसक ने दिल्ली में वाजपेयी और आडवाणी के साथ बातचीत की.

07.12.2004 : NSCN (IM) के नेता मनमोहन सिंह से मिले.

31.07.2007: NSCN (IM) और भारत सरकार के बीच अनिश्चितकालीन संघर्षविराम अनिश्चितकाल तक बढ़ा.

27.03.2015 : NSCN-K ने संघर्षविराम छोड़ा और संघर्ष का नवीनीकरण किया.

03.08.2015 : केंद्र ने NSCN (I-M) के साथ एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते ने संगठन को उग्रवादी संगठन के रूप में मान्यता देकर चल रही शांति वार्ता का मार्ग प्रशस्त किया.

2017 : नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (NNPGs) के बैनर तले छह अन्य नगा सशस्त्र संगठन वार्ता में शामिल हुए.

नगा समूहों के साथ बातचीत के समापन के लिए केंद्र सरकार द्वारा तय की गई 31 अक्टूबर 2019 की समय सीमा बीत गई, लेकिन विवाद का कोई हल नहीं निकला.

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