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मातृभाषा को वंदन, उन्नति में निभाती है सबसे अहम भूमिका

इंसान के जीवन में अपनी मातृभाषा का बहुत महत्व है. भले ही इंसान में अन्य भाषाओं में बात करने की खूबी हो लेकिन उसका अपनी मातृभाषा से अलग ही तरह का जुड़ाव रहता है. कहा जाता है कि इंसान अपनी भावनाओं को अपनी मातृभाषा में ही ज्यादा अच्छे तरीके से व्यक्त करता है. जानें आपकी उन्नति में मातृभाषा का क्या है महत्व...

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Published : Nov 2, 2019, 4:22 PM IST

Updated : Nov 2, 2019, 8:27 PM IST

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यदि मां जन्म देती है, तो मातृभाषा मूल्य देती है. जिस तरह से मां की उपस्थिति आनंद देती है, उसी तरह मातृभाषा में लिखने से सांत्वना मिलती है. भावनाओं को उस तरह से अन्य भाषाओं में व्यक्त नहीं किया जा सकता है, जिस तरह से वे देशी जुबान में की जा सकती हैं. अपनी मातृभाषा में साहित्य लिखने वाले बड़ी संख्या में नोबेल पुरस्कार विजेता इस तथ्य की पुष्टि करते हैं. पोलिश लेखक ओल्गा टोकार्ज़ुक ने 2018 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीता. इसी तरह, ऑस्ट्रियाई उपन्यासकार पीटर हैंडके ने वर्ष 2019 के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता.

महारानी विक्टोरिया के शासनकाल के दौरान चार्ल्स डिकेंस, जॉर्ज एलियट, शार्लोट ब्रोंटे, थॉमस हार्डी, एमिली ब्रोंटे और सैमुअल बटलर की कृतियों को विक्टोरियन साहित्य माना जाता था. इस साहित्य की विशेषता क्रमबद्धता, प्रगति, उदासीनता और उपयोगितावाद थी. 20वीं शताब्दी के दौरान, अमेरिकी उपन्यासकारों ने अपने महान कार्यों के माध्यम से दुनिया का आधुनिकतावाद से परिचित कराया. उन्होंने छोटे शब्दों और बड़े विचारों का उपयोग करते हुए लघु उपन्यास लिखे. आधुनिकतावादी आंदोलन की ऐसी ही अर्नेस्ट हेमिंग्वे द्वारा 125 पन्नों की कृति द ओल्ड मैन एंड द सी ने साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीता. हेमिंग्वे ने अपने उपन्यास में रोज़मर्रा के लोगों को नायक के रूप में चुना था.

ओल्गा टोकार्ज़ुक की द बुक ऑफ़ जैकब एक ऐतिहासिक महाकाव्य है जिसमें 3 धर्मों, 5 भाषाओं और 7 राष्ट्रों का समागम है. ओल्गा ने फ्रेंकवाद नामक एक धार्मिक आंदोलन को एक नया दृष्टिकोण दिया जो 18वीं शताब्दी में पोलैंड में उनके शब्दों के माध्यम से हुआ था. इसी लेखक द्वारा पोलिश में लिखे गए एक अन्य खंडित उपन्यास, बिएगुनी, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद फ्लाइट्स इन इंग्लिश नाम से हुआ, ने 2018 में मैन बुकर जीता. उन्होंने 2008 में पोलैंड का शीर्ष साहित्य पुरस्कार, नाइकी अवार्ड जीता. ओल्गा साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली 15वीं महिला हैं. पीटर हैंडके, जिन्होंने लेखन को आगे बढ़ाने के लिए अपने कानून के पेशे को छोड़ दिया था, उन्होंने सभी उपन्यास अपनी मातृभाषा जर्मन में लिखे. उनका उपन्यास वून्सक्लोज़ अनगलक उनकी मां की आत्महत्या के बारे में है और इसने उन्हें कैसे प्रभावित किया. पीटर ने पटकथा लेखक के रूप में भी कई पुरस्कार अर्जित किये हैं.

आज तक, 116 लोगों को साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. उनमें से केवल 29 लेखकों ने अंग्रेजी में लिखा और 3 लेखकों ने अपनी मातृभाषा और अंग्रेजी में एक साथ लिखा. रवींद्रनाथ टैगोर 'गीतांजलि' के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई थे. बाद में, उन्होंने पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद किया. त्रिनिदादियन और टोबैगोनियन ब्रिटिश लेखक विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल ने 2001 में अपने लेखन के लिए नोबेल जीता. फ्रेंच और जर्मन लेखकों ने 14 नोबेल पुरस्कार प्रत्येक जीते. 11 स्पेनिश, 7 स्वीडिश, 6 इतालवी, 6 रूसी, 5 पोलिश, 3 डेनिश, 3 नाइजीरियाई, 2 चीनी, 2 जापानी और 2 ग्रीक लेखकों ने अपनी मूल भाषाओं में साहित्यिक कार्यों के लिए नोबेल पुरस्कार जीते. इनमें से फ्रांस 16 विजेताओं के साथ पहले स्थान पर है, इसके बाद अमेरिका के 12, यूनाइटेड किंगडम के 11, जर्मनी और स्वीडन के 8, पोलैंड, इटली और स्पेन के 6-6, आयरलैंड के 4 और डेनमार्क और नॉर्वे के 3-4 लोग हैं.

भारतीयों में गलत धारणा है कि साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने के लिए अंग्रेजी में लिखना अनिवार्य है. उभरते लेखक सलमान रुश्दी, अरुंधति रॉय, किरण देसाई और अरविंद अडिगा को उदाहरण के रूप में देखे जा सकते हैं. भारतीय अंग्रेजी लेखक द बुकर पुरस्कार जीत रहे हैं. लेकिन क्षेत्रीय भाषा की किताबें अंग्रेजी में अनुवादित नहीं हो रही हैं, जिसके करणवश वे विश्व मंच पर प्रतिस्पर्धा करने से दूर रहती हैं. क्षेत्रीय भाषाओं में भी क्लासिक्स या गौरव्ग्रंथों का अनुवाद नहीं किया जा रहा है. एक लेखक को गुणवत्तापूर्ण अनुवाद करने के लिए स्रोत और लक्ष्य भाषाओं दोनों का गहन ज्ञान होना चाहिए. टैगोर ने गीतांजलि के खराब अनुवाद पर दुख व्यक्त किया था. यूरोपीय और अफ्रीकी लेखकों के साहित्यिक कार्य कम समय में ही अंग्रेजी में अनुवादित हो रहे हैं. हालांकि तेलुगु राज्यों में भाषा विश्वविद्यालय हैं, लेकिन गुरुजादा द्वारा लिखे गए अत्यधिक प्रसिद्ध कन्यासुलकम को अपने अंग्रेजी अनुवाद को देखने के लिए एक सदी तक इंतजार करना पड़ा. इसके अलावा, केवल भारतीयों के एक छोटे से समूह ने व्यवसाय के रूप में लेखन को अपनाया है. हमारे पाठ्यक्रम में लेखन अभ्यास का कोई उल्लेख नहीं है. नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित करने और साहित्य के अनुवाद को प्राथमिकता देने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों और सरकार की है.

Last Updated : Nov 2, 2019, 8:27 PM IST

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