नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को 1999 के झारखंड कोयला घोटाले मामले में दोषी ठहराया गया. कोर्ट ने 21 वर्ष बाद इस मामले में फैसला सुनाया है. आइए जानते हैं क्या है कोयला घोटाला केस...
यह था मामला :
यह मामला 1999 में झारखंड कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं से संबंधित है. जब दिलीप रे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्य मंत्री थे.
यह मामला झारखंड के जिला गिरिडीह में 105.153 हेक्टेयर गैर-राष्ट्रीयकृत परित्यक्त कोयला खनन क्षेत्र के आवंटन से संबंधित है.
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि ब्रह्मडीह कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए कोयला मंत्रालय को मई 1998 में सीटीएल ने आवेदन किया था, लेकिन कोल इंडिया लिमिटेड ने मंत्रालय को बताया कि खनन खतरनाक हो सकता है क्योंकि कोयला ब्लॉक एक परित्यक्त खान क्षेत्र था और पानी से भरा हुआ था. 23 अप्रैल 1999 को फिर से दिलीप रे के कार्यालय में फाइल भेजी गई और 12 मई 1999 को सीटीएल ने मंत्री को एक नया प्रतिनिधित्व सौंपते हुए कहा कि उनके आवेदन पर शीघ्रता से विचार किया जा सकता है.
जब 13 मई 1999 को तत्कालीन केंद्रीय कोयला सचिव के बाद दिलीप रे के कार्यालय में फाइल आई तो इसे अतिरिक्त सचिव नित्या नंद गौतम के डेस्क पर भेजा गया.
सीबीआई ने आरोप लगाया कि गौतम ने अपने पिछले अवलोकन से पूरी तरह से यू-टर्न ले लिया जिसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी ने कोयला मंत्रालय द्वारा दिशानिर्देशों में ढील देने के लिए कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए सीटीएल की सिफारिश की.
कोयला मंत्रालय द्वारा 1 सितंबर 1999 को सीटीएल के पक्ष में ब्रह्मडीह कोयला ब्लॉक के आवंटन को पत्र जारी किया. यह आरोप लगाया गया था कि ब्लॉक के आवंटन के बाद, सीटीएल ने संबंधित अधिकारियों द्वारा किसी भी खदान खोलने की अनुमति के बिना भी अवैध रूप से कोयला निकालना शुरू कर दिया.