नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 10वां दिन है. इधर किसानों के साथ सरकार की वार्ता खत्म हो गई है. इस मसले को सुलझाने के लिए आज सरकार और किसान नेताओं के बीच यह पांचवें दौर की बैठक थी, जो बेनतीजा रही. किसान नेताओं के साथ शनिवार को यहां विज्ञान भवन में हुई पांचवें दौर की बैठक में कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की सभी शंकाओं का समाधान करेगी. एमएसपी पर कोई खतरा नहीं है। एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग ऐक्ट (एपीएमसी) राज्य का विषय है. राज्य की मंडियों को केंद्र सरकार किसी तरह से प्रभावित नहीं होने देगी.
बैठक के बाद किसने क्या कहा:-
- केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि 'हमने किसानों से कहा है कि सरकार उनके सभी पहलुओं पर विचार करेगी. अगर किसानों के नेताओं से सुझाव मिलते हैं तो इसका हल निकालना आसान होगा...हम किसान यूनियनों से अनुरोध करते हैं कि वे बुजुर्गों और बच्चों को घर भेज दें.'
- कृषि मंत्री ने कहा कि 'हम राज्यों में मंडी को प्रभावित करने का इरादा नहीं रखते, वे कानून से प्रभावित नहीं हैं. एपीएमसी को और मजबूत करने के लिए सरकार सब कुछ करने को तैयार है. एपीएमसी के बारे में जो भी गलत धारणा है सरकार उसे स्पष्ट करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.'
- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के बाद प्रेस वार्ता में कहा कि 'एमएसपी जारी रहेगा, इसे कोई खतरा नहीं है. इस पर शक करना बेबुनियाद है. फिर भी, अगर किसी को संदेह है तो सरकार इसे सुलझाने के लिए तैयार है.'
- अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि 'हमने बैठक की शुरुआत में कहा था कि हमारी मांग कानूनों को वापस लेने की है. हमने कड़ा रुख अपनाया. अंत में हमें बताया गया कि अगली बैठक 9 दिसंबर को होगी. ऐसा लगता है कि सरकार निश्चित रूप से कानूनों को वापस लेगी.'
- भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि,'सरकार एक मसौदा तैयार करेगी और हमें देगी. उन्होंने कहा कि वे राज्यों से भी सलाह लेंगे. MSP पर भी चर्चाएं हुईं, लेकिन हमने कहा कि हमें कानूनों को वापस लेने के बारे में भी बात करनी चाहिए. भारत बंद 8 दिसंबर को होगा.'
- सरकार के साथ बैठक के पांचवें दौर के बाद किसान नेताओं ने कहा कि, 'केंद्र सरकार ने कहा है कि वे हमें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे. हम आपस में इस पर चर्चा करेंगे, जिसके बाद उसी दिन उनके साथ एक बैठक आयोजित की जाएगी.'
बिंदूवार पढ़ें बैठक में क्या हुआ-
- किसानों और सरकार के बीच पांचवे दौर की बैठक बेनतीजा रही. अगली बैठक नौ दिसंबर को होगी.
- गायक-अभिनेता दिलजीत दोसांझ ने सिंघू सीमा पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि 'आप सभी को सलाम, किसानों ने एक नया इतिहास रचा है. यह इतिहास आने वाली पीढ़ियों को सुनाया जाएगा.'
- किसानों ने कहा कि हम कॉरपोरेट के हाथों में अपनी किसानी नहीं देना चाहते.इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसान को नहीं.
- केंद्र के साथ बैठक में किसान नेता ने कहा कि हमारे पास एक साल तक टिके रहने की सामग्री है. हम पिछले कई दिनों से सड़क पर हैं. अगर सरकार चाहती है कि हम सड़क पर रहें, तो हमें कोई समस्या नहीं है.
- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों की बैठक में उपस्थित किसान नेताओं से अनुरोध करते हुए कहा कि 'मैं आप सभी वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों से विरोध स्थल से घर जाने की अपील करता हूं.'
- किसानों की सिर्फ एक मांग, कानून वापस लिए जाएं.
- किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद सरकार ने किसानों को बैठक के मिनट्स का लिखित जवाब दिया है.
- विज्ञान भवन में केंद्र सरकार के साथ पांचवें दौर की वार्ता के दौरान, किसानों ने कहा कि उन्हें समाधान / प्रतिबद्धता चाहिए. उन्होंने कहा कि वे आगे चर्चा नहीं करना चाहते हैं और यह जानना चाहते हैं कि सरकार ने किसानों की मांग पर क्या निर्णय लिया है.
- विज्ञान भवन में 5 वें दौर की वार्ता के दौरान, किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से पिछली बैठक का एक बिंदुवार लिखित उत्तर देने को कहा, जिसके लिए सरकार ने सहमति व्यक्त की है.
सरकार के साथ बैठक में 'मौन व्रत' पर रहे किसान
सरकार के साथ पांचवें दौर की बातचीत में किसानों का समूह 'मौन व्रत' पर रहा और उसने तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मुख्य मांग पर 'हां' या 'नहीं' में जवाब मांगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ करीब चार घंटे तक चली बैठक में किसान नेताओं ने सरकार से साफ-साफ 'हां' या 'नहीं' में इस बारे में जवाब देने को कहा कि वह कानूनों को निरस्त करेगी या नहीं.
पंजाब किसान यूनियन के नेता रुलधू सिंह ने कहा, 'किसान यूनियन के नेता 'मौन व्रत' पर बैठे हैं.'
ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-आर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) की कविता करुगंती ने कहा कि सरकार किसान नेताओं के सीधे-सीधे सवालों का जवाब नहीं दे रही.
पंजाब किसान यूनियन के कानूनी सलाहकार गुरलाभ सिंह महल ने कहा कि किसान नेता सरकार से 'हां' या 'नहीं' में जवाब चाहते हैं.
बैठक में मौजूद कुछ किसान नेता अपने होठों पर अंगुली रखे हुए और 'हां' या 'नहीं' लिखा कागज हाथ में लिए हुए दिखे.
पत्रकारों के लिए भेजा खाना
किसान संगठन और केंद्र सरकार के बीच बैठक जारी है इसी बीच किसानों ने पत्रकारों के लिए खाना भेजा है. किसान नेता धनवंत सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि पिछली बार मीडिया कर्मचारियों ने कहा था कि बैठक बहुत लंबी चलती है और इसको लेकर आज किसानों ने उनके लिए खाना और अन्य सामान बाहर भेजा है. धनवंत सिंह ने बताया कि बैठक लगातार जारी है और किसानों का एक ही तर्क है कि कानून वापस लिए जाएं.
केंद्र सरकार के साथ होने वाली बातचीत से पहले किसानों ने अपना रुख और सख्त कर लिया था. बता दें कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने आठ दिसंबर को 'भारत बंद' का शुक्रवार को एलान किया था.
किसानों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे राष्ट्रीय राजधानी की तरफ जाने वाली और सड़कों को बंद कर देंगे. सूत्रों ने अनुसार सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिए उन प्रावधानों का संभावित हल तैयार कर लिया है जिन पर किसानों को ऐतराज है.
मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज होगा
किसानों ने भावी कदम तय करने के लिए दिन के समय बैठक की. बैठक के बाद किसान नेताओं में एक गुरनाम सिंह चडोनी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि केंद्र सरकार शनिवार की वार्ता के दौरान उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करेंगे.
क्या कहा हरिंदर सिंह लखोवाल ने
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा, आज की हमारी बैठक में हमने आठ दिसम्बर को 'भारत बंद' का आह्वान करने का फैसला किया और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजा पर कब्जा भी कर लेंगे.
उन्होंने कहा, यदि इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो हमने आने वाले दिनों में दिल्ली की शेष सड़कों को अवरूद्ध करने की योजना बनाई है.