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दिल्ली HC का आदेशः ESI बीमित व्यक्ति को मिलता रहेगा सालाना एक करोड़ रुपये का इलाज

गौचर (एमपीएस-वन) बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति का इलाज जारी रहना चाहिए. चाहे जितनी धनराशि खर्च हो. पढ़ें पूरी खबर...

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कोर्ट से मिली राहत

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Published : Nov 27, 2019, 8:23 PM IST

Updated : Nov 27, 2019, 8:58 PM IST

नई दिल्ली : गौचर जैसी दुस्साध्य बीमारी से जूझ रहे धर्मेंद्र सिंह को उस समय बड़ी राहत मिली, जब दिल्ली हाईकोर्ट ने उसका इलाज जारी रखने का कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) अस्पताल को आदेश दिया. कुछ दिन पहले ईएसआई ने उसके इलाज का खर्च उठाने से इनकार कर दिया था, धर्मेंद्र के इलाज पर हर साल करीब एक करोड़ रुपये का खर्च बैठता है.

कुछ दिन पहले धर्मेंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में कहा गया था कि धर्मेंद्र को 16 साल की उम्र से ही गौचर (एमपीएस-वन) नामक जटिल बीमारी से पीड़ित है. वर्तमान में धर्मेंद्र की उम्र 28 साल है.

हाई कोर्ट के आदेश की जानकारी देते अधिवक्ता.

धर्मेंद्र के पिता एक कम्पनी में काम करते हैं. इस वजह से उन्हें कम्पनी से ईएसआई की सुविधाएं मिलती हैं.

ईएसआई का कहना है कि उसने धर्मेंद्र की बीमारी पर दो करोड़, 57 लाख, 77 हजार रुपये खर्च किए हैं, ESI ने 21 साल की उम्र सीमा का हवाला देकर धर्मेंद्र का इलाज करने से इनकार कर दिया था.

इसके बाद धर्मेंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि धर्मेंद्र दिव्यांग हैं. इसलिए 21 साल के बाद भी उनका इलाज तब तक चलता रहेगा. जब तक कि उसके पिता ईएसआई के दायरे में रहेंगे.

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क्या हैकर्मचारीराज्यबीमा निगम ( ईएसआई)

कर्मचारी राज्य बीमा निगम उन कर्मचारियों को बीमा धनराशि उपलब्ध कराता है, जिनका वेतन 21,000 रुपये से कम है और वे जिस कम्पनी में काम कर रहे हैं, उसमें कम से कम दस कर्मचारी कार्यरत हों.

ईएसआई भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन है.

ईएसआई के लाभ

  • रोजगार में प्रवेश करने के पहले दिन से ही कर्मचारी एवं उसके परिवार को ईएसआई के तहत चिकित्सा लाभ मिलता है. इसके तहत वह अपने नजदीकी ईएसआईसी डिस्पेंसरी से दवाइयां ले सकता है तथा ईएसआई अस्पताल में अपना इलाज करा सकता है.
  • ईएसआई के अंतर्गत आने वाली महिला कर्मचारी को गर्भावस्था के दौरान मातृत्व लाभ प्रदान किया जाता है. इसके तहत गर्भवती महिला को 26 सप्ताह तक 100 फीसदी औसत दैनिक मजदूरी प्रदान की जाती है.
  • ईएसआई के माध्यम से बीमित व्यक्ति और उसपर आश्रित व्यक्ति का तब तक इलाज किया जाएगा, जब तक वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाता. इलाज के दौरान जितनी धनराशि खर्च होगी, वह ईएसआई वहन करेगा.
  • ईएसआई से सिर्फ बीमित व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उस पर आश्रित उसके परिजनों को भी सहायता प्रदान की जाती है. यदि कर्मचारी की काम के दौरान चोट लगने से मृत्यु हो जाती है, तो उस पर आश्रित लोगों को मासिक भुगतान ईएसआई की तरफ से किया जाता है.
  • अस्वस्थता के मामले में चिकित्सा छुट्टी की भरपाई के लिए छुट्टी के दौरान दैनिक मजदूरी का 70 फीसदी लगातार दो लाभ अवधि में 91 दिन तक प्रदान किया जाता है.
  • यदि कोई व्यक्ति काम के दौरान चोट लगने के कारण कार्य करने में असमर्थ हो जाता है, तो ईएसआई उस व्यक्ति को तब तक सहायता राशि प्रदान करता है, जब तक वह कार्य करने में समर्थ नहीं हो जाता है.
Last Updated : Nov 27, 2019, 8:58 PM IST

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