नई दिल्ली : हिंद महासागर में इस साल चक्रवाती गतिविधियों की अधिकता के कारण भारत के तटीय क्षेत्रों में बंगाल की खाड़ी से लेकर अंडमान सागर तक 11 चक्रवाती तूफानों की दस्तक ने सवा सौ साल का रिकार्ड तोड़ दिया है.
मौसम की चरम गतिविधियों (एक्सट्रीम एक्टिविटीस) से संबंधित मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर के पहले सप्ताह में चक्रवाती तूफान ‘पवन’ की दस्तक के साथ 2019 में हिंद महासागर में आए चक्रवाती तूफानों की संख्या 11 हो गई जो कि 1893 के बाद सर्वाधिक है.
उल्लेखनीय है कि ‘पवन’, सात दिसंबर को सोमालिया तट से गुजरने के बाद कमजोर पड़ गया था.
चक्रवाती विक्षोभ (साइक्लोनिक डिस्टर्बेंस) की सक्रियता को दर्शाने वाली विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल आये 11 चक्रवाती तूफानों में अरब सागर से पांच और बंगाल की खाड़ी से तीन तूफान उठे। इनमें से छह तूफानों की तीव्रता को गंभीर श्रेणी में रखा गया.
एक के बाद एक, लगातार 11 तूफानों ने मौसम विज्ञानियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
मौसम वैज्ञानिक डा. कुलदीप श्रीवास्तव के अनुसार चक्रवाती तूफानों की तीव्रता और आवृत्ति में इज़ाफा भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम चक्र को प्रभावित करने का स्पष्ट इशारा है.
इसके जलवायु परिवर्तन से संबंध के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन के बाद ही इसके दूरगामी परिणाम और प्रभाव के बारे में कुछ कहा जा सकता है.
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उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्रों से उठने वाले चक्रवाती तूफानों का शुरुआती प्रभाव, असमय बारिश के रूप में दिखता है, जिसका सीधा असर फसलों पर पड़ता है.
समुद्री क्षेत्र से स्थल भाग की ओर बढ़ते हुये चक्रवाती तूफान तटीय क्षेत्रों में हवा के कम दबाव का क्षेत्र पैदा कर बारिश की वजह बनते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार इसके पहले हिंद महासागर में सर्वाधिक दस चक्रवाती तूफान 1893 के अलावा 1926, 1930 और 1976 में आये थे.
वहीं अरब सागर में 1902 में आये पांच चक्रवाती तूफानों में चार की तीव्रता गंभीर श्रेणी में दर्ज की गयी थी.
इस लिहाज से अरब सागर इस साल सात चक्रवाती विक्षोभों (साइक्लोनिक डिस्टर्बेंस) का केन्द्र बनने के साथ तुलनात्मक रूप से ज्यादा सक्रिय रहा. इनमें से पांच विक्षोभ ने चक्रवाती तूफान में तब्दील होकर ‘गंभीर’ श्रेणी में अपनी मौजूदगी दर्ज की.
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वहीं, बंगाल की खाड़ी से इस साल तीन चक्रवाती तूफान (पाबुक, फानी और बुलबुल) उठे. हिंद महासागर क्षेत्र में इस साल उठे अन्य चक्रवाती तूफानों में ‘वायु’ ने जून और ‘हिक्का’ ने सितंबर में दस्तक दी जबकि नवंबर में अरब सागर से ‘महा’ और बंगाल की खाड़ी से ‘बुलबुल’ ने एक साथ अपना असर दिखाया था.
इनमें 'महा' की तीव्रता को अति गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया जबकि अक्टूबर में आया 'क्यार' 'सुपर साइक्लोनिक स्ट्रॉम' साबित हुआ.