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SC में चिदंबरम की दलील - CBI जेल में रखकर करना चाहती है अपमानित

आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जमानत का अनुरोध करते हुए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि सीबीआई सिर्फ उन्हें अपमानित करने के लिए ही हिरासत में रखना चाहती है. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट बुधवार को ही इस पर कोई निर्णय लेगी.

पी चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय मंत्री.

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Published : Oct 16, 2019, 12:43 AM IST

Updated : Oct 16, 2019, 1:25 AM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए बुधवार दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. मंगलवार को उनके अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें पूरी कीं. बुधवार को सीबीआई शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी दलीलें पेश करेगी.

न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ के समक्ष चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पूर्व वित्तमंत्री या उनके परिवार के सदस्यों पर ऐसा कोई आरोप नहीं है कि उन्होंने कभी इस मामले के गवाहों को प्रभावित करने या उनसे सम्पर्क करने का प्रयास किया हो. उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी प्रकार के आर्थिक नुकसान या धन हड़पने जैसा भी कोई आरोप नहीं है.

सिब्बल ने पीठ से कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम पिछले 55 दिनों से हिरासत में हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘अजीबो गरीब तरीके से’ उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. सीबीआई ने 74 वर्षीय चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था और वह इस समय भ्रष्टाचार के मामले में तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं. चिदंबरम संप्रग सरकार के 2004 से 2014 के कार्यकाल के दौरान वित्त मंत्री और गृह मंत्री रहे थे.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ रुपये के निवेश की विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी में कथित अनियमित्ताओं के संबंध में 15 मई, 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी. इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने 2017 में ही धनशोधन का मामला दर्ज किया था.

पूर्व वित्त मंत्री ने इस मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 सितम्बर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दे रखी है. चिदंबरम ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें लगातार जेल में बंद रखना ‘सजा के रूप’ में है और अज्ञात तथा अपुष्ट आरोपों के आधार पर किसी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है.

सिब्ब्ल ने जमानत याचिका पर बहस के दौरान कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने इससे पहले शीर्ष अदालत में तर्क दिया था कि वह चिदंबरम को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करना चाहता है, लेकिन बाद में जब कांग्रेस के नेता ने धनशोधन मामले में समर्पण करने के लिए निचली अदालत में आवेदन दाखिल किया तो निदेशालय ने इसका विरोध किया.

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सिब्बल ने कहा, 'उन्हें (चिदंबरम) जमानत दी जानी चाहिए. वह (सीबीआई) चिदंबरम को जेल में रखकर अपमानित करना चाहते हैं.' उन्होंने दलील दी कि सीबीआई ने चिदंबरम को जमानत देने से इनकार करने संबंधी उच्च न्यायालय के उन निष्कर्षों को सोमवार को शीर्ष अदालत में चुनौती दी, जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस के इस नेता के भागने का खतरा नहीं है और वह साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते.

उच्च न्यायालय ने कहा था कि उनके भागने के खतरे और साक्ष्यों से छेड़छाड़ की संभावना के पहलू चिदंबरम के पक्ष में, जबकि गवाहों को प्रभावित करने संबंधी तीसरा बिन्दु उनके खिलाफ जाता है. चिदंबरम की ओर से एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने उच्च न्यायालय के 30 सितम्बर के फैसले के इस निष्कर्ष पर भी सवाल उठाया कि कांग्रेस नेता द्वारा गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

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सिंघवी ने कहा, 'उन्हें जमानत देने से इनकार करने का यह तरीका नहीं हो सकता. इस आधार पर तो प्रत्येक जमानत याचिका अस्वीकार हो जाएगी.' चिदंबरम की इस अपील पर न्यायालय बुधवार को सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनेगा. इस बीच, निचली अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को आईएनएक्स धनशोधन मामले में चिदंबरम से पूछताछ की अनुमति दे दी और कहा कि यदि जरूरी हो, तो जांच एजेंसी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है.

Last Updated : Oct 16, 2019, 1:25 AM IST

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