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मध्य प्रदेश के निकाय चुनाव में ताल ठोक सकती है एआईएमआईएम

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) मध्य प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव में अपने उम्मीदवार उतार सकती है. हालांकि, अभी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नजर सभी नगरीय निकाय की बजाय मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर होगी.

ओवैसी
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Published : Dec 24, 2020, 10:58 PM IST

भोपाल :असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अब मध्य प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों से अपने चुनावी सफर का आगाज कर सकती है. एआईएमआईएम मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में प्रत्याशी उतार सकती है. खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों पर शीर्ष नेतृत्व की नजर है. असदुद्दीन ओवैसी ने इसकी जिम्मेदारी ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के पार्षद सैयद मिनहाजुद्दीन को सौंपी है. मध्य प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नईम अंसारी प्रत्याशी की तलाश में जुट गए हैं.

मुस्लिम बहुल इलाकों में कराए जाएंगे सर्वे
एआईएमआईएम के मप्र इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नईम अंसारी ने कहा है कि प्रदेश में होने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी संभावनाएं तलाश रही है. प्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाके में जल्द ही प्रारंभिक तौर पर सर्वे कराया जाएगा. सर्वे के लिए पार्टी मुख्यालय हैदराबाद से पदाधिकारी मध्य प्रदेश आएंगे. यदि सर्वे में जीत की संभावनाएं नजर आईं, तो उम्मीदवारों को चुनाव में मैदान में उतारा जा सकता है.

ओवैसी लेंगे अंतिम फैसला
पार्षद सैयद मिनहाजुद्दीन की देख-रेख में प्रदेश के इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खंडवा, सागर, बुरहानपुर, खरगोन, रतलाम, जबलपुर, बालाघाट और मंदसौर जैसे इलाकों में सर्वे कराए जाएंगे. इन सर्वे के आधार पर पार्टी प्रमुख ओवैसी चुनाव लड़ने और न लड़ने का फैसला करेंगे.

कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगने के आसार
मध्य प्रदेश में मुस्लिम मतदाता आमतौर पर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करता आया है. लेकिन एआईएमआईएम अगर मध्य प्रदेश में मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रत्याशी उतारती है, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा. जबकि कांग्रेस के वोट बैंक पर इसका सीधा असर देखने को मिल सकता है. ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि ओवैसी की पार्टी भाजपा के लिए मध्य प्रदेश में भी मददगार साबित हो सकती है.

हैदराबाद के बाद एमपी में टक्कर
गौरतलब है कि पिछले दिनों सुर्खियों में रहे जीएचएमसी चुनाव में भाजपा ने ओवैसी की पार्टी को उसके गढ़ में चुनौती दी थी. ऐसे में तेलंगाना के बाद अब मध्य प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में भी दोनों दलों के बीच टक्कर देखने को मिल सकती है.

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