वाराणसी : काशी की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक 478 वर्ष पुरानी रामलीला में आज भरत मिलाप संपन्न हुआ. काशी में आज भी 16वीं शताब्दी में शुरू की गई रामलीला का आयोजन होता है. 478 वर्ष पुरानी इस रामलीला के प्रेमी आज भी अपने पूर्वजों की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी के मित्र मेघा भगत जी ने यह राम लीला शुरू की थी. इस बार यहां की रामलीला की शुरुआत 30 सितंबर से हुई थी जो कि 17 अक्टूबर को सम्पन्न हो जाएगी.
काशी के नाटी इमली में भरत मिलाप मेला लक्खा मेले में शुमार है. यहां आयोजित होने वाले भरत मिलाप को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग जुटे और भगवान की अद्भुत लीला के गवाह बने. बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगातार दूसरे साल इसके आयोजन पर संशय के बादल मंडरा रहे थे. विश्व प्रसिद्ध रामलीला कल यानी 17 अक्टूबर को सम्पन्न हो जाएगी.
मान्यता है कि भगवान श्रीराम के जाने के बाद अयोध्यावासियों ने राम की स्मृति के लिए रामलीला का संकल्प लेकर उसे मूर्त रूप दिया था. लेकिन प्रमाणों में स्पष्ट है कि रामलीला के प्रेरक गोस्वामी तुलसीदास स्वयं थे. उन्होंने अपने मित्र मेघा भगत के माध्यम से रामलीलाओं की प्रस्तुति मंचन की शुरुआत कराई. स्वप्न दर्शन से प्राप्त प्रभु की प्रेरणा से मेघा भगत ने काशी में 478 साल पहले चित्रकूट रामलीला के नाम से रामलीला शुरू किया. आज भी इस लीला का आयोजन चित्रकूट रामलीला समिति करता है. काशी के अयोध्या भवन बड़ा गणेश मंदिर के पास स्थित इस भवन से ही प्रारंभ होती है. यह रामलीला 7 किलोमीटर की परिधि में 22 दिनों तक चलती है.